2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने इस आधार पर आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम करने वाले संगठन ‘अभिनव भारत’ की बैठकों में हिस्सा लिया, जिसमें मालेगांव धमाके की साज़िश रची गई थी.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 4,46,78,822 हो गए हैं और 5,30,707 लोग इस महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण के 66.07 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 66.91 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
नए साल में असल चिंता का विषय है, भारत में ऐसे हिंदू दिमाग़ का निर्माण जो श्रेष्ठतावाद के नशे में चूर है. मुसलमान मित्रविहीन अवस्था में है. चंद बुद्धिजीवी ही उसके साथ हैं. कश्मीर में मुसलमानों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. असम में उसे कोने में धकेला जा रहा है और पूरे देश में क़ानूनों और ग़ुंडों के गठजोड़ के ज़रिये उसे प्रताड़ित किया जा रहा है.
पुस्तक समीक्षा: विभाजन-साहित्य उन असंख्य लोगों का इतिहास है, जिसे शासकीय ब्योरों में भुला दिया गया. चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी का उपन्यास 'इंडिपेंडेंस' इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है, जहां राष्ट्रों के जन्म, विभाजन की हिंसा, उपद्रव और इसके प्रभावों को आम स्त्रियों की दृष्टि से देखा गया है.
घटना बलरामपुर ज़िले की है. जाफ़राबाद निवासी एक महिला का आरोप है कि मुस्लिम बहुल आबादी में रहने के चलते उनके पड़ोसी उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं. ऐसा न करने पर मकान बेचकर जाने और जान से मारने की धमकी देते हैं.
भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बीते 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा शहर में हुए सम्मेलन के दौरान कहा था कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है, वे आत्मरक्षा के लिए घर में चाकू की धार तेज़ रखें. ठाकुर के ख़िलाफ़ कर्नाटक पुलिस में दो शिकायतें भी दी गई हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है. शिकायतकर्ता तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले ने भी
2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के लिए एल्गार परिषद के आयोजन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इसके कुछ प्रतिभागियों समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सामने एक पुलिस अधिकारी ने अपने हलफ़नामे में हिंसा में आयोजन की कोई भूमिका होने से इनकार किया है.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक कार्यक्रम में कहा कि कश्मीरी पंडित टारगेटेड हत्याओं का शिकार हैं, लेकिन देश को इन्हें धर्म के आधार पर देखना बंद करना चाहिए क्योंकि बहुत से अन्य लोग भी मारे गए हैं. बीते कई महीने से जम्मू में प्रदर्शनरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने इस पर रोष जताया है.
केंद्र की मोदी सरकार की पहल पर 26 दिसंबर को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के बेटों ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के उपलक्ष्य ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया गया. तमाम सिख संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाना महान शहादत को कमतर करने की एक दुर्भावनापूर्ण साज़िश है.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने एक रिपोर्ट में सवाल उठाते हुए कहा है कि भारत के पहले डेटा संरक्षण क़ानून को लोगों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए, न कि उनकी निजता पर आक्रमण का हथियार बनना चाहिए.
गुजरात के खेड़ा ज़िले का मामला. बीएसएफ जवान अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ नाबालिग बेटी का आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का विरोध करने के लिए आरोपी युवक के घर गए थे. इस दौरान आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी, जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस ने मामले के सात आरोपियों को गिरफ़्तार किया है.
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों समेत अन्य अल्पसंख्यकों की आतंकियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध में वहां कार्यरत कर्मचारी पिछले कई महीने से जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं. एक कार्यक्रम में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि कश्मीर में हत्याओं को धर्म के आधार पर देखना बंद करें. कर्मचारियों ने इस बयान पर रोष जताया है.
अयोध्या में 18वीं शताब्दी में वर्ण-व्यवस्था का अतिक्रमण कर जाति, संप्रदाय, हिंसा व जीव हत्या का मुखर विरोध व सामाजिक समानता की पैरोकारी करने वाले संत पलटूदास को अजात घोषित कर ज़िंदा जला देना इस बात का प्रमाण है कि देश में पागलपन में शामिल न होने वालों को मार देने का सिलसिला बहुत पुराना है.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी पर आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध और घाटी से तबादले की मांग पर 200 से अधिक दिन से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा कि हम सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति के कारण ऐसे हालात में हैं. आतंकियों द्वारा हमें मारने के लिए हिट-लिस्ट जारी की जा रही है.
लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में 23,179 गृहणियों, 15,870 पेशेवर/वेतनभोगी व्यक्तियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से जुड़े 2,541 कर्मचारियों ने आत्महत्या की. इसी अवधि में 42,004 दिहाड़ी मज़दूरों, 5,563 खेतिहर मज़दूरों और व्यवसाय क्षेत्र के 12,055 लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले सामने आए हैं.