सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों के लिए तीन अधिनियमों को लागू नहीं करने पर महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार द्वारा हलफ़नामा दायर नहीं करने को लेकर नाराज़गी जताई है. ये अधिनियम लॉकडाउन के कारण संकटग्रस्त प्रवासी मज़दूरों की मदद के लिए हैं.
मामला चिल्ला थाना क्षेत्र के पलरा गांव का है. चिल्ला थाना प्रभारी ने बताया कि मृतक सात बीघे की कृषि भूमि गिरवी रखी थी, लेकिन जिस व्यक्ति ने भूमि गिरवी रखी, उसने बदले में उन्हें को पैसा नहीं दिया. संभवतः इसी से परेशान होकर उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या की.
पहली घटना बांदा ज़िले के अलिहा गांव और दूसरी घटना चिल्ला थाना क्षेत्र के दिघवट की है. एक मज़दूर हरियाणा में ईंट पथाई का काम करते थे, जबकि दूसरे दिल्ली में मज़दूरी करते थे. लॉकडाउन के बाद दोनों अपने अपने घर लौट आए थे.
मनरेगा पोर्टल पर 24 अगस्त तक तक उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2013-2014 के बाद से मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी सबसे निचले स्तर पर आ गई है.
लॉकडाउन के बाद गृह राज्यों से केरल पहुंच रहे कामगारों का कहना है कि नियमानुसार उन्हें 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटीन में रहना है, लेकिन इसके लिए उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं और न दे पाने की स्थिति में वापस लौटने को कहा जा रहा है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अकेले जुलाई महीने में ही 50 लाख नौकरियां गई हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियाई विकास बैंक की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं को भी झटका लगा है, जिसके कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज़्यादा प्रभावित होंगे.
वीडियो: बीते 24 मार्च को कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बाद पूरे देश से मज़दूर पलायन कर अपने मूल राज्यों को लौट गए थे. हालांकि वहां कोई काम न मिलने के बाद अब मज़दूरों ने वापस बड़े शहरों का रुख़ करना शुरू कर दिया है. दिल्ली लौटे मज़दूरों से बातचीत.
अब जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं, तब ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि भूख और रोजी-रोटी की समस्या ख़त्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है.
देश में कोविड-19 महामारी से निपटने में केंद्र सरकार द्वारा कथित कुप्रबंधन की जांच के लिए आयोग गठित करने के लिए पूर्व नौकरशाहों सहित छह याचिकाकर्ताओं की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
अप्रैल में बांद्रा स्टेशन पर लॉकडाउन में ट्रेन बहाल होने की अफवाह पर कामगारों की भीड़ जुट गई थी. इस बारे में एक टीवी पत्रकार पर कथित ग़लत जानकारी देने का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने इस बारे में अपनी क्लोज़र रिपोर्ट में कहा है कि पत्रकार की रिपोर्ट ग़लत नहीं थी, पर देखने वालों ने इसे ग़लत संदर्भ में लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके घर पहुंचाने, उन पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस लेने और रोज़गार की व्यवस्था करने का आदेश दिया था.
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिले आंकड़ों के अनुसार 29 जून तक 4,615 ट्रेनें चलीं और रेलवे ने इनसे 428 करोड़ रुपये कमाए. इसके साथ ही जुलाई में 13 ट्रेनें चलाने से रेलवे को एक करोड़ रुपये की आमदनी हुई.
मामला कोकराझार ज़िले का है. लॉकडाउन के दौरान गुजरात लौटे एक मज़दूर ने आर्थिक तंगी और काम न मिलने से परेशान होकर अपनी 15 दिन की बच्ची को 45 हज़ार रुपये में बेच दिया. पुलिस ने मज़दूर और बच्ची खरीदने वाली महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है.
मार्च में जब देश में कोविड संक्रमण की शुरुआत हुई, तब बिहार में बहुत कम मामले सामने आए थे, लेकिन अब आलम यह है कि राज्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है और मुख्यमंत्री के परिजनों से लेकर कई ज़िलों के प्रशासनिक अधिकारी तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.