मज़दूरों का ये जत्था हरियाणा के यमुनानगर से आ रहा था. आजीविका खो चुके इन मज़दूरों का कहना है कि जिस शेल्टर होम में ये रह रहे थे, वहां ख़राब खाने के साथ एक टाइम ही खाना मिल रहा था.
पहला हादसा उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में, जबकि दूसरा हादसा कानपुर ज़िले में हुआ है. कानपुर में हुए हादसे में 12 लोग घायल भी हुए हैं.
गैर-लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 18 मई सुबह 11 बजे तक अपने घरों को लौट रहे 158 प्रवासी, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 29 लोग और 236 अन्य लोगों की मौत हुई है.
ऑटोरिक्शा में हरियाणा से बिहार जा रहे दंपति की लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पर मौत हो गई. मध्य प्रदेश के गुना में टेम्पो पलट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए. मध्य प्रदेश के बड़वानी में दो हादसों में पांच प्रवासियों की मौत हो गई.
इससे पहले बीते मार्च महीने में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की पढ़ाई कर रहीं मणिपुर की ही छात्रा को ‘कोरोना’ कहकर उन पर थूका गया था. इसके बाद अप्रैल महीने में मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक बाइक सवार मणिपुर की ही युवती पर थूककर भाग निकला था.
हरियाणा सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि सरकार तथा निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों, पुलिस और अदालत के अधिकारियों समेत ज़रूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को ई-पास दिखाने पर दिल्ली-हरियाणा के बीच आवाजाही की अनुमति दी जाएगी.
समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि भारत में श्रम कानूनों में हो रहे बदलाव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि सरकार, श्रमिक और नियोक्ता संगठनों से जुड़े लोगों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के बाद ही श्रम कानूनों में किसी भी तरह का संशोधन किया जाना चाहिए.
इस समूह में चल रहे एक श्रमिक ने बताया कि करीब 12 लोगों ने दो दिन पहले लुधियाना से पैदल ही यात्रा शुरू की थी क्योंकि वे रेलवे की विशेष ट्रेन के लिए पंजीकरण नहीं करा पाए थे.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्य कोरोना महामारी के नाम पर गोपनीय तरीके से कुछ सालों के लिये कई श्रम क़ानूनों को हल्का कर रहे हैं या रोक लगा रहे हैं. राज्यों की दलील है कि इससे निवेश बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि निवेश श्रम क़ानूनों को ख़त्म करने से नहीं बल्कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड लेबर से होता है.
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
हरियाणा के अंबाला छावनी के चांदपुरा गांव का मामला. ग्रामीणों का शक था कि महिला की मौत कोविड-19 से हुई है और अंतिम संस्कार करने से इलाके में भी संक्रमण फैल सकता है.
देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.
गुजरात के मेहसाणा ज़िले में कोरोना वायरस के लक्षणों को जांचने गई एक आशा कार्यकर्ता से बदसलूकी की गई, वहीं हरियाणा के फरीदाबाद में एनआरसी के लिए डेटा इकट्ठा करने का आरोप लगाते हुए आशा कार्यकर्ताओं की एक टीम के साथ मारपीट की गई.