हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हाल ही में संस्थान से इस्तीफ़ा देने वाले प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक और टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के समर्थन में दो दिन के लिए कक्षाओं के बहिष्कार का ऐलान किया था. जिसके बाद बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का बयान आया है.
प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानु मेहता ने बीते मंगलवार को हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके दो दिन बाद पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. मेहता ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय से उनके जुड़ाव को राजनीतिक जवाबदेही के तौर पर देखा गया.
इस हफ्ते की शुरुआत में प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि स्वतंत्रता के संवैधानिक मूल्यों और सभी को समान समझने की राजनीति के पक्ष में उनका सार्वजनिक लेखन विश्वविद्यालय के लिए जोखिम माना जाता है.
प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानु मेहता द्वारा सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पद छोड़ने के दो दिन बाद पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर पद से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अब अकादमिक स्वतंत्रता नहीं दे सकता.
अमेरिका के राष्ट्रीय आर्थिक शोध ब्यूरो द्वारा जारी एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि नोटबंदी के बाद 2016 में नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान रोजगार सृजन में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी.
सुरजीत भल्ला का इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया है जब बीते 15 महीनों में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम समेत 3 अर्थशास्त्री सरकार का साथ छोड़ चुके हैं.
नोटबंदी के दो साल बाद प्रमुख बैंकर उदय कोटक ने 2000 रुपये का नोट लाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आप 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर रहे हैं, तो उससे बड़ा नोट लाने की क्या ज़रूरत थी?
केंद्र की मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस समय संकट में है. उसे मंदी झेलने को तैयार रहना चाहिए.
सुब्रमण्यम का कार्यकाल तीन साल का होगा. वह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद में प्राध्यापक हैं. आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ चुके सुब्रमण्यम ने शिकागो विश्वविद्यालय से वित्तीय अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है.
अपनी आने वाली किताब ‘ऑफ काउंसल: द चैलेंजेस ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि आईएलएंडएफएस की ताजा विफलता से न केवल वाणिज्यिक बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी प्रभावित हुईं. इन विफलताओं के लिए रिज़र्व बैंक को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
नोटबंदी के समय देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यम ने बताया कि नोटबंदी से पहले दर्ज हुई 8% की आर्थिक वृद्धि इस फैसले के बाद 6.8 % पर पहुंच गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी हुई.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कई मौको पर नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की है. राजन ने कहा था कि नोटबंदी पर सोच-समझकर फैसला नहीं लिया गया.
वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई वाली लोकसभा की प्राक्कलन समिति भारत में बैड लोन की मात्रा और जान-बूझकर दिवालिया होने के मामले की जांच कर सकती है.
आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा अपना पद छोड़ने के फैसले पर कहा कि इस पद पर अगला व्यक्ति वो हो जिसे भारत के किसानों, श्रमिकों और उद्यमियों पर विश्वास हो.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर दी जानकारी, बताया- मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पारिवारिक वजहों से अमेरिका लौट रहे हैं.