यह कार्यक्रम शुरुआत में 31 दिसंबर 2020 को होना था, लेकिन पुलिस द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. 2017 में भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में किया गया था. इसके अगले दिन यहां हिंसा भड़क उठी थी.
यूं तो बेटियां मांओं से बहुत जुड़ी होती ही हैं, मगर सुधा भारद्वाज की बेटी होना कोई आसान नहीं. बिना किसी अपराध के ढाई साल से ऊपर हुए मां जेल में है और बाहर मायशा अलग लड़ाई लड़ रही है.
मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने मामले में अपने ख़िलाफ़ लगाए गए सभी आरोपों को रद्द करने का अनुरोध किया है.
भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वकील ने अदालत से कहा था कि उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से नियमित रूप से मुंबई आने में दिक्कत होती है. ठाकुर 2008 में हुए मालेगांव धमाका मामले में सात आरोपियों- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी- में से एक हैं.
एल्गार परिषद मामले में एनआईए ने इन पैरोडी गीतों के अलावा साल 2011 और 2012 के कुछ साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि संगठन के कार्यकर्ता फ़रार नक्सली नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े के संपर्क में थे.
साल 2008 में महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगांव में हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी और 101 से अधिक घायल हो गए थे. इस मामले में भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी आरोपी हैं.
एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में माओवादियों से संबंध के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. स्वामी ने ज़ब्त किए गए अपने स्ट्रॉ और सिपर को लौटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.
केंद्र सरकार द्वारा स्टेन स्वामी सहित देश के 16 सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करना आंदोलनरत जनसंगठनों और उनसे जुड़े नेताओं को भयभीत कर इन आंदोलनों को कमज़ोर करने की कोशिश है.
एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. एनआईए ने उनकी याचिका के जवाब में कहा है कि वे कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति की आड़ में ज़मानत मांगकर स्थिति का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
हमारे देश और राज्य को सुरक्षित रखने के नाम पर अगर स्टेन स्वामी को क़ैद में डाला जा सकता है तो क्या हम ख़ुद को आज़ाद कहलाने के क़ाबिल रह गए हैं?
एनआईए ने भीमा-कोरेगांव मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड के रांची स्थित उनके घर से गिरफ़्तार किया था. उन पर भाकपा (माओवादी) के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है.
एनआईए ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं स्टेन स्वामी, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े समेत आठ लोगों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दाख़िल किया है, उनमें मिलिंद तेलतुंबड़े को छोड़कर सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.
83 साल के सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी देश के सबसे उम्रदराज शख़्स हैं, जिन पर आतंकवाद से संबंधित आरोपों में मामला दर्ज किया गया है. वह जून 2018 के बाद से इस मामले में गिरफ़्तार किए गए 16वें शख्स हैं.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की वकील ने कहा कि वह दो साल से भी ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं और अब तक आरोप भी तय नहीं हुए हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेरिट के आधार पर आपके पास अच्छा मामला है. आप नियमित ज़मानत के लिए आवेदन क्यों नहीं करतीं.