भाजपा के पूर्व विधायक और इलाहाबाद के प्रभावशाली नेता उदयभान करवरिया और उनके दो भाइयों को को 2019 में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव की हत्या के लिए दोषी क़रार दिया गया था. उनकी समय-पूर्व रिहाई के कारणों में पुलिस और डीएम ने उनके 'अच्छे बर्ताव' का हवाला दिया है.
कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को समय से पहले रिहा कर दिया है. इस आदेश को मधुमिता के बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों को ‘नज़रअंदाज़’ करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.
कहा जा रहा है कि अमरमणि त्रिपाठी को भाजपा विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘अपने ब्राह्मण चेहरे’ के बतौर आगे करेंगे. हालांकि भाजपा का उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा, क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे पर उसे खूब घेरेगा. बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप के बाद अब कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के सज़ायाफ़्ता रहे अमरमणि को आगे लाने का दांव उल्टा भी पड़ सकता है.
कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस समय वह गर्भवती थीं. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में हत्या के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. सज़ा को उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा था.
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कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गए पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या को एक अपराधी के दुस्साहस और पुलिस की रणनीति में कमी तक सीमित करना अपराध-राजनीति के गठजोड़ की अनदेखी करना है. बिना राजनीतिक संरक्षण के किसी अपराधी में इतनी हिम्मत नहीं आ सकती कि वह पुलिस टीम को घेरकर मार डाले और आराम से फ़रार हो जाए.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पत्नी समेत जेल में बंद पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी भी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में हैं. वे जेल से ही महराजगंज ज़िले की नौतनवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव प्रचार की कमान उनकी बहनों के हाथ में है.