न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर चारों तरफ़ झूठ पर झूठ फैलाया जा रहा है: योगेंद्र यादव

वीडियो: फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत विभिन्न मांगों को लेकर किसानों ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया है. इस वीडियो में राजनीतिक विश्लेषक और स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव एमएसपी को लेकर फैलाए गए 10 बड़े झूठ और उनका सच बता रहे हैं.

एमएसपी एक ऐसी कीमत है, जिससे कम देने का मतलब किसानों का शोषण करना है

औसतन किसानों को बाजार में अपनी फसल बेचने पर एमएसपी से तकरीबन 40% कम पैसा मिलता है. ऐसे में अगर कोई कह रहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएससी) की लीगल गारंटी नहीं मिलनी चाहिए तो वह मेहनत के साथ नाइंसाफ़ी कर रहा है. वह ऐसी दुनिया का पक्षधर नहीं, जहां पर सबको अपनी मेहनत का वाजिब हक़ मिले.

‘दिल्ली चलो’ मार्च: 63 वर्षीय प्रदर्शनकारी किसान की हरियाणा सीमा के पास दिल का दौरा पड़ने से मौत

पंजाब के गुरदासपुर ज़िले के रहने वाले मृतक ज्ञान सिंह दो दिन पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग लेने के लिए शंभू सीमा पर आए थे. इस मार्च का उद्देश्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की क़ानूनी गारंटी सहित उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालना है.

एमएसपी की लीगल गारंटी से देश का दिवाला पिट जाएगा: इस झूठ का भंडाफोड़

वीडियो: एक तरफ मोदी सरकार दिल्ली की सीमाओं को किसी देश का बॉर्डर बनाकर किसानों को रोकने की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ उसके समर्थक कह रहे हैं कि अगर किसानों को एमएसपी की लीगल गारंटी दी गई तो देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल जाएगा. इसे झूठे दावे के बारे में विस्तार से बता रहे हैं द वायर के अजय कुमार.

किसान आंदोलन: मोदी सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध के लिए ब्रिटिशकालीन क़ानून का उपयोग किया

किसानों के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मनसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट निलंबित कर दिया है. किसानों का समर्थन करने वाले सोशल साइट एक्स और फेसबुक पर एक दर्जन से अधिक एकाउंट सरकार के अनुरोध पर बंद कर दिए गए हैं.

राजधानी आ रहे किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस के 30,000 गोलों का ऑर्डर दिया

नरेंद्र मोदी सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर क़ानूनी गारंटी और ऋण माफ़ी सहित अन्य मांगों की अपील के साथ सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान पंजाब और हरियाणा के बीच अंबाला के पास शंभू सीमा पर एकत्र हुए हैं. साल 2020 के आंदोलन को दोहराते हुए उन्होंने बीते 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो मार्च’ का आह्वान किया है.

ये भाजपा सरकार नहीं, उद्योगपतियों की मोदी सरकार है: किसान नेता राकेश टिकैत

वीडियो: ‘कृषि की बात’ के इस एपिसोड में किसान आंदोलन के फिर से शुरू होने पर किसान नेता राकेश टिकैत से द वायर के इंद्र शेखर सिंह की बातचीत.

दिल्ली चलो मार्च: किसानों के विरोध के बीच लगभग 100 लोग घायल; कई एक्स एकाउंट बंद

वीडियो: किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च के बीच आ रहीं ख़बरों और वीडियो से पता चलता है कि शंभू सीमा पर 100 से अधिक किसान घायल हो गए हैं, जिनमें से कई पैलेट गन की गोलियों से घायल हुए हैं. पत्रकारों, समाचार वेबसाइट समेत विरोध प्रदर्शन के संबंध में जानकारी प्रसारित करने वाले सोशल मीडिया एकाउंट को निलंबित कर दिया गया है.

किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च: कृषि मंत्री ने कहा- जल्दबाज़ी में नहीं ला सकते एमएसपी क़ानून

केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (ग़ैर-राजनीतिक) और किसान मज़दूर संघर्ष समिति फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने और कृषि ऋण माफ़ी समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे चरण का नेतृत्व कर रहे हैं.

अधूरे वादों को लेकर किसान समूहों ने मोदी सरकार को घेरा, 3 केंद्रीय मंत्री मिलने पहुंचे

किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के एक गुट ने 13 फरवरी को एमएसपी क़ानून और कृषि ऋण माफ़ी समेत विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय और पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.

जैविक खेती योजना के लिए मिले धन में से हरियाणा, गुजरात ने कुछ ख़र्च नहीं किया: सरकार

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने हाल ही में संसद में बताया कि हरियाणा और गुजरात ने परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत पिछले तीन वर्षों में जैविक खेती के लिए प्राप्त राशि में से एक भी पैसा ख़र्च नहीं किया. हरियाणा और गुजरात को क्रमशः 5.05 लाख रुपये और 10.10 लाख रुपये मिले थे.

झारखंड में डायन बताकर महिलाओं की हत्या किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुद्दा क्यों नहीं है?

डायन बताकर महिलाओं की हत्या किए जाने के मामले में झारखंड पिछले कई सालों से लगातार देश में शीर्ष पर है. इसके बावजूद किसी भी राजनीतिक दल की प्राथमिकता में यह मुद्दा नज़र नहीं आता.