क्या हिंसा की संस्कृति अब भारत की पहचान बनती जा रही है

अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.

असम फायरिंग को अवैध क़ब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.

असम में बेदख़ली अभियान के दौरान घायल हुए लोगों को नहीं मिला उचित इलाज: रिपोर्ट

एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला है कि असम के दरांग जिले में 21 सितंबर को प्रशासन द्वारा बेदख़ली अभियान के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में जिन तीन लोगों को गोली लगी थी, उनके शरीर से 27 सितंबर तक गोलियां नहीं निकाली गई थीं.

असम: बंद पेपर मिलों के ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री से बकाया भुगतान की अपील की

असम में हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड के हैलाकांडी ज़िले में कछार पेपर मिल एवं मोरीगांव जिले के जगीरोड में नगांव पेपर मिलें- क्रमश: अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद पड़ी हैं. नगांव पेपर मिल ठेकेदार संगठन ने कहा है कि मिल बंद होने से वे असहाय और बेरोज़गार हो गए हैं. नियोक्ताओं और श्रमिकों को लंबे समय से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है और उनकी वित्तीय स्थिति ख़राब हो रही है.

किस हाल में है नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आई ढेरों रिपोर्ट्स में एक समान बात यह है कि भारत में नरेंद्र मोदी के शासन में मानवाधिकार समूहों पर दबाव बढ़ा है, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को धमकाया गया है और मुसलमानों के प्रति घृणा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस तरह के अभियान की प्रेरणा जो भी हो, मानवाधिकारों के इन उल्लंघनों के बारे में कुछ करने की ज़रूरत है.

असमः बेदख़ली अभियान के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में दो लोग गिरफ़्तार

असम के दरांग ज़िले के सिपाझार में 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि परियोजना के लिए अधिग्रहीत ज़मीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई, जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए थे.

असम के बंद पड़ी पेपर मिल के दो और कर्मचारियों की मौत, मृतक संख्या 95 हुई: यूनियन

असम में नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल के जॉइंट एक्शन कमेटी ऑफ रेकग्नाइज़्ड यूनियंस का कहना है कि हमारे अधिकतर कर्मचारियों की मौत उचित इलाज के अभाव में हुई है, क्योंकि उन्हें पिछले 55 महीनों से वेतन या बकाया नहीं मिला है. ये सामान्य मौतें नहीं हैं, हमारे लोग अधिकारियों की उदासीनता के कारण मारे जा रहे हैं.

असम: अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं, दो की मौत

घटना दरांग ज़िले के सिपाझार की है, जहां पुलिस ने अतिक्रमण हटाने के एक अभियान के दौरान गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस का दावा है कि स्थानीय लोगों ने उन पर हमला किया था, जिसके बाद उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

असम सरकार ने कथित ‘अवैध अतिक्रमण’ के ख़िलाफ चलाया अभियान, 800 परिवार बेघर

असम के दरांग ज़िले के धालपुर में स्थानीय प्रशासन ने सैकड़ों परिवारों के घरों को ढहा दिया है, जिसके चलते वे कोरोना महामारी के बीच दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं. पिछले तीन महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ जब धालपुर के लोगों को बेदख़ल किया गया है. यहां ज़्यादातर पूर्वी बंगाल के मूल वाले मुसलमान रहते हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों में राजनीतिक संघर्षों में त्रिपुरा शीर्ष परः एनसीआरबी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 'क्राइम इन इंडिया 2020' रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में बलात्कार के मामलों में पूर्वोत्तर के राज्यों में असम शीर्ष पर है. असम में बलात्कार के 1,657 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद त्रिपुरा में 79, मेघालय में 67  और अरुणाचल प्रदेश में 60 मामले दर्ज किए गए.

नॉर्थ ईस्ट डायरीः मिज़ोरम के सीएम ने प्रधानमंत्री से म्यांमार शरणार्थियों के लिए मदद मांगी

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, मेघालय, असम, त्रिपुरा, नगालैंड और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

असमः शॉर्ट्स पहनकर परीक्षा देने गई छात्रा को रोका, पर्दा लपेटकर बैठने को मजबूर किया गया

घटना तेजपुर के गिरिजानंद चौधरी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज की  है, जहां असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा के लिए पहुंची एक 19 साल की छात्रा को उनके शॉर्ट्स पहनने का हवाला देते हुए सिर्फ फुल पैंट में ही परीक्षा देने की बात कही गई. बाद में संस्थान में लगा एक पर्दा निकालकर छात्रा से उसे पैरों पर लपेटकर परीक्षा देने को कहा गया.

असम: हाईकोर्ट ने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के आदेश को किया ख़ारिज, कहा- नागरिकता महत्वपूर्ण अधिकार है

ये मामला असम के मोरीगांव ज़िले के मोइराबारी निवासी असोरुद्दीन से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में बुलाया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हो सके थे और ट्रिब्यूनल ने उनका पक्ष जाने बिना ही उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था.

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