अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और उसके बाद आने वाली बाहरी भीड़ से किसी गड़बड़ी की आशंका के चलते एक संगठन ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को लिखे पत्र में मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के उन क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा की मांग की है, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?
दयानंद सरस्वती कहते थे कि एक तो मूर्तिपूजा अधर्म है और दूसरा यह देश की एकता के लिए ख़तरनाक़ है.
जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: राम की महिमा है कि उनकी स्तुति में शामिल होकर हत्यारे-लुटेरे-जघन्य अपराधी अपने पाप धो लेंगे और राम-धवल होकर अपना अपराधिक जीवन जारी रखेंगे. राम की महिमा है कि उन्होंने इतना लंबा वनवास सहा, अनेक कष्ट उठाए जो यह तमाशा, अमर्यादित आचरण भी झेल लेंगे.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने अमेज़ॉन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू कर दी है. नोटिस अमेज़ॉन वेबसाइट पर ‘श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद’ नाम से मिठाई की बिक्री को लेकर जारी किया गया है. अमेजॉन ने कहा है कि हम इस उल्लंघन की जांच कर रहे हैं.
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अयोध्या को भारत की, या कहें हिंदुओं की धार्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का राज्य समर्थित अभियान चल रहा है. लोगों के दिमाग़ में 22 जनवरी, 2024 को 26 जनवरी या 15 अगस्त के मुक़ाबले एक अधिक बड़े और महत्त्वपूर्ण दिन के रूप में आरोपित करने को भरपूर कोशिश हो रही है.
तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने दादा एमके करुणानिधि का नाम लेते हुए कहा कि द्रमुक किसी विशेष धर्म या आस्था के ख़िलाफ़ नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
हिंदू समाज या कहें संपूर्ण भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां सबको आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. भले सत्ताधारी इसे अमृतकाल कहें किंतु यह संक्रमण काल है. दुर्बुद्धि और नफ़रत का संक्रमण काल, जहां मर्यादाएं विच्छिन्न हो रहीं हैं.
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्यगोपाल दास को भेजे पत्र में कहा है कि परिसर में रामलला पहले से ही विराजमान हैं, 'तो यह प्रश्न उठता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा?'
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अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर चौतरफा माहौल के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि ऐसे समय में जब आस्था और राजनीति के बीच की रेखाएं पहले से कहीं अधिक धुंधली हो गई हैं, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कैसे योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मठ की ‘समावेशिता की विरासत’ को ख़त्म कर दिया.
वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि इस आयोजन को भाजपा और आरएसएस ने हड़प लिया है. एक धार्मिक आयोजन को चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक अभियान में बदल दिया गया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने में असमर्थता जताई है.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को होना है. यह कार्यक्रम देश भर के लाखों लोगों के लिए अत्यधिक धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है.