बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. इस दौरान राजद नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि ‘बिना किसी वैध कारण के’ साथ छोड़ने के नीतीश कुमार के क़दम से महागठबंधन आश्चर्यचकित और निराश है.
लालू प्रसाद यादव की राजद से गठबंधन तोड़ने के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. उनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री और 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
नीतीश कुमार के अलावा भाजपा से दो उप-मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा बिजेंद्र प्रसाद यादव, संतोष कुमार सुमन, श्रवण कुमार समेत छह अन्य मंत्रियों ने भी रविवार को शपथ ली. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 2024 में जदयू ख़त्म हो जाएगी. ये लोग कुछ भी करें, मुझे विश्वास है कि बिहार के लोग हमारे साथ हैं.
महागठबंधन सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को राजद नेताओं के यहां हुई सीबीआई छापेमारी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग वो ‘तीन जमाई’ हैं, जिन्हें भाजपा उन राज्यों में भेजती है जहां वह सत्ता में नहीं है.
बिहार का हालिया घटनाक्रम 2024 लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति को बदलने का माद्दा रखता है. आंकड़ों की रोशनी में देखें तो भाजपा के पास इस सात दलीय महागठबंधन को लेकर चिंतित होने की हर वजह है.
नीतीश कुमार के भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने पर सुशील मोदी ने कहा कि वे एनडीए से निकलने के लिए सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं. इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि नीतीश कुमार ‘आदतन धोखेबाज़’ हैं.
जदयू के राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी अनिल हेगड़े ने बताया कि इस पद के लिए नीतीश एकमात्र उम्मीदवार थे और रविवार को नामांकन वापस लेने का समय समाप्त होने के बाद उन्हें पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों के विरोध प्रदर्शन को बताया राजनीतिक हित साधने की कोशिश, राज्य के सभी ज़िलाधिकारियों को बाल एवं महिला शेल्टर होम की जांच करने का निर्देश दिया.
निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.