पटना हाईकोर्ट ने कोविड-19 प्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि जो भी कारण हो, बिहार सरकार कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर अनिच्छुक है, जो सही नहीं है. हमारे नज़रिये से सरकार का यह रवैया न ही किसी क़ानून द्वारा संरक्षित है और न ही सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप है.
कोविड टीकाकरण को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बहुत गहरी खाई है. बिहार के अररिया और पूर्णिया ज़िलों में विभिन्न अफ़वाहों और भ्रामक जानकारियों चलते ग्रामीण टीका नहीं लगवाना चाहते हैं. टीका न लगवाने की अन्य वजहें जागरूकता की कमी, शैक्षणिक-सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के साथ सरकारी अनदेखी भी है.
केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने यह बयान दिया है. इससे पहले मई 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनने से इनकार करते हुए जदयू ने समानुपातिक भागीदारी की मांग की थी.
संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने ज़िलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.
सूचना का अधिकार के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि पिछले साल नवंबर तक देश में छह महीने से छह साल तक के क़रीब 927,606 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान की गई. इनमें से सबसे ज़्यादा 398,359 बच्चों की उत्तर प्रदेश में और 279,427 की बिहार में पहचान की गई. ये आंकड़े उन चिंताओं पर ज़ोर डालते हैं कि कोविड-19 महामारी ग़रीब तबकों के बीच स्वास्थ्य एवं पोषण के संकट को और बढ़ा सकती है.
बिहार के पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जिनमें पुलिस अधिकारी व कर्मी ड्यूटी के दौरान अनावश्यक रूप से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. ड्यूटी के दौरान मोबाइल का अनावश्यक उपयोग अनुशासनहीनता का परिचायक है.
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और निगरानी विभाग के प्रधान सचिव समेत अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को पत्र लिखकर एंबुलेंस ख़रीददारी में पद का दुरुपयोग करते हुए सुनियोजित षड्यंत्र के तहत सरकारी राशि की क्षति करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि बिलिंग राशि बढ़ाने के लिए इंश्योरेंश और आरटीओ का ख़र्च दोगुना दर्शाया गया.
साइकिल गर्ल ज्योति पासवान के पिता मोहन पासवान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. ज्योति पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन में अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुड़गांव से दरभंगा तक लगभग 1,200 किलोमीटर का सफ़र करने के बाद सुर्खियों में आई थीं.
आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि गंगा किनारे शव मिलने की ऐसी तस्वीरें साल 2015 और 2017 में भी सामने आई थीं, लेकिन तब मीडिया ने ऐसा नहीं किया था.
कोविड-19 संबंधी आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को लेकर सरकार की कार्रवाई के संदर्भ में व्यंगात्मक लहज़े में ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की, जो उस तीन सदस्यीय पीठ की अगुवाई कर रहे हैं, जो कि इस महामारी के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही है.
एक अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शवों के सम्मानजनक निपटारे के लिए पंचायत, राज्य व केंद्र के स्तर पर त्रिस्तरीय समिति का गठन किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि गंगा नदी के क्षेत्र को इकोलॉजिकली संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाए, जिसकी सुरक्षा और संरक्षण करने की ज़रूरत है.
बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा व इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव मिलने के बाद केंद्र ने दोनों राज्यों की सरकार से इस पर रोक लगाने को कहा था. जल शक्ति मंत्रालय के साथ बैठक में यूपी सरकार ने कहा है कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में शवों को प्रवाहित करने की परंपरा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चक्रवात ‘यास’ से प्रभावित ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. इसी माह के मध्य में पश्चिमी तट ने चक्रवात ताउते का प्रकोप झेला. ताउते अति भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में गुजरात तट से टकराया और उसने कई राज्यों में तबाही मचाई और क़रीब 50 लोगों की जान चली गई थी.
पटना हाईकोर्ट ने ने बिहार सरकार को लॉकडाउन उल्लंघन के नाम पर पुलिस की कथित बर्बरता को तुरंत रोकने का निर्देश दिया. अदालत ने पुलिस द्वारा की गई कथित ज़्यादती पर चिंता जताने के साथ ही संबंधित अधिकारियों को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है.
मामला गाज़ियाबाद का है, जहां राजस्व विभाग के एक लिपिक ने वॉट्सऐप स्टेटस पर उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘जंगल राज’ होने का आरोप लगाते हुए लिखा था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पूर्ववर्ती केआर नारायणन की तरह ठोस फैसले क्यों नहीं ले रहे हैं. ज़िला प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं.