राम मंदिर समारोह पर विपक्षी नेताओं ने कहा- ‘जय श्री राम’ किसी की संपत्ति नहीं

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा पर पिनराई विजयन ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि सभी को स्वतंत्र रूप से धर्म को मानने, उसका अभ्यास और प्रचार करने का समान अधिकार है. वहीं ममता बनर्जी ने भाजपा को 'महिला विरोधी' क़रार दिया. सिद्धारमैया ने कहा कि 'हम महात्मा गांधी के राम की पूजा करते हैं, भाजपा के राम की नहीं.'

राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा: अब क्या है आगे का रास्ता

वीडियो: राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर प्रोफेसर अपूर्वानंद, लेखक धीरेंद्र के. झा, वलय सिंह, द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

राम मंदिर या ‘मोदी’ का मंदिर!

वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूर्ण 'राजनीतिकरण' क्या हिंदुओं के लिए आत्मचिंतन का समय है? इस बारे में द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

राम मंदिर: बाबरी मस्जिद की छाया में

वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की यात्रा पर वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद की बातचीत.

राम मंदिर कवरेज सबूत है कि मीडिया ही मोदी सरकार की सबसे मज़बूत प्रचारक है

वीडियो: न्यूज़ चैनलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर छवि की अपडेट दी जा रही है. मीडिया अपना पूरा पैसा लगाकर नरेंद्र मोदी को हिंदू हृदय सम्राट के तौर में भारत के हर व्यक्ति के मानस में पहुंचाने में लगा हुआ है. धूप से लेकर के अगरबत्ती की अपडेट दी गई. टीवी चैनलों की अयोध्या कवरेज पर अजय कुमार का नज़रिया.

बिहार: समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर का जयंती समारोह मनाने को लेकर भाजपा और जदयू आमने-सामने

बिहार में विपक्षी भाजपा और सत्तारूढ़ जदयू के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाने के लिए मिलर हाई स्कूल के आवंटन को लेकर विवाद हो गया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी को आवंटित मैदान को जदयू को आवंटित करने के लिए नीतीश कुमार सरकार की आलोचना करते हुए इसे ग़ुंडागर्दी बताया है.

गुजरात: 2002 में बिलकीस बानो से गैंगरेप और परिजनों की हत्या मामले के 11 दोषियों ने आत्मसमर्पण किया

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई का ख़ारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ़्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.

22 जनवरी 2024: हिंदुओं ने क्या पाया-खोया?

यह विडंबना ही है कि मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम के नाम पर संविधान की मर्यादा का हनन हो रहा है और हिंदू इसमें उल्लास, उत्साह एवं उमंग से भाग ले रहे हैं तथा गर्व का अनुभव भी कर रहे हैं.

रामोत्सव बनाम गणतंत्रोत्सव!

भारतीय गणतंत्र इस बात को भी भला कैसे भूलेगा कि इसके लिए प्रधानमंत्री ने ‘धर्माचार्य’ का चोला धारण कर लिया था और उनके ‘सिपहसालार’ उन्हें विष्णु का अवतार और प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख को 1947 के 15 अगस्त जितनी महत्वपूर्ण बता रहे थे.

अयोध्या में भाजपा नेताओं की कंपनी ने पर्यावरण संवेदनशील ज़मीन अडानी समूह को बेची: रिपोर्ट

एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर-दिसंबर 2023 के बीच टाइम सिटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी नामक एक कंपनी ने सरयू नदी के पास 1.13 करोड़ रुपये में ज़मीन का एक टुकड़ा ख़रीदा, जिसे कुछ हफ्तों बाद अडानी समूह को तीन गुना से भी अधिक कीमत पर बेच दिया गया. टाइम सिटी समूह एक पूर्व भाजपा विधायक का है.

राजस्थान: राजीव युवा मित्र योजना बंद करने के भाजपा सरकार के फैसले के विरोध में उतरे युवा

राजस्थान में कांग्रेस की पिछली अशोक गहलोत सरकार द्वारा लाई गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना के तहत युवाओं को 17,500 रुपये का मासिक भुगतान किया जाता था. इसके तहत युवा केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करते थे. योजना बहाल करने की मांग पर युवा लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

अयोध्या में तो राम भी मोदीमय हैं!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?

आस्थाओं के शोर में विवेक की बेदख़ली!

जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.

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