हिंदुत्व की पूरी पिच भाजपा की तैयार की हुई है. इस पर हाथ-पांव मारने की बेचैन कोशिश में तात्कालिक लाभ होता दिख सकता है, पर दूरगामी परिणाम देखा जाए तो इसके फायदे के बजाय नुक़सान ही ज़्यादा नज़र आते हैं.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर लगाए गए 'कैश फॉर क्वेरी' के आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर उन्हें सदन से निष्काषित कर दिया गया. इसके बाद मोइत्रा ने कहा कि अगर मोदी सरकार को लगता है कि उन्हें चुप कराकर अडानी मुद्दे को भुला दिया जाएगा है, तो वो ग़लत है.
मराठा समुदाय के आर्थिक, सामाजिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए गठित आयोग के नौ सदस्यों में से एक ने कहा कि सरकार आयोग से पूर्व-निर्धारित धारणा पर एक रिपोर्ट चाहती है कि मराठा पिछड़े हैं. यह एक स्वतंत्र आयोग है, जो डेटा और विश्लेषण के बाद ही निष्कर्ष देगा. सरकार किसी विशेष समुदाय को पिछड़े वर्ग में शामिल करने के लिए आयोग से डेटा देने के लिए कैसे कह सकती है?
बसपा प्रमुख मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर कहा कि देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीबों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न का मोहताज बना देने जैसी दुर्दशा न आज़ादी का सपना था और न ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय डॉ. आंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुखद है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी लोकसभा द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पारित करने के बाद आई, जिसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान किया गया है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ इस विपक्षी गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुक़ाबला है.
आज अयोध्या की ‘बड़ी-बड़ी’ बातों ने कई ‘छोटी’ बातों को इतनी छोटी कर डाला है कि वे न पत्रकारों को नज़र आती हैं, न सरकारी अमले को. ऐसे में उन आम अयोध्यावासियों की तकलीफें अनदेखी की शिकार हैं, जो ‘ऊंची उड़ानों’ पर नहीं जाना चाहते या जिन्हें उन उड़ानों के इंतज़ामकार अपने साथ नहीं ले जाना चाहते.
मध्य प्रदेश में जहां भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास का सबसे अधिक वोट प्रतिशत (48.55) अर्जित किया, वहीं उसका अपने सभी मंत्रियों पर भरोसा जताने का दांव ज़्यादा सफल साबित नहीं हुआ. चुनाव में उतरे शिवराज सिंह कैबिनेट के 31 में से 12 मंत्री चुनाव हारे हैं.
वीडियो: तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों- राजन महान, आलोक पुतुल और द वायर के पॉलिटिकल एडिटर के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों की जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने 'हैट्रिक' शब्द कहते हुए आगामी लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार की ज़मीन तैयार कर दी है. हालांकि, आंकड़ों के साथ इस दावे की पड़ताल भाजपा के लिए उतनी आश्वस्तकारी नहीं है, जितनी समझी जा रही है.
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पूर्वोत्तर में एक नए क्षेत्रीय दल के तौर पर उभरे ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 40 सदस्यीय मिज़ोरम विधानसभा की 27 सीटें जीती हैं. वहीं, सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट 10 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली हैं.
भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में सात-सात, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से मध्य प्रदेश में पांच, राजस्थान में चार और छत्तीसगढ़ में तीन सांसद विजयी हुए. हालांकि तेलंगाना में तीनों हार गए.
कांग्रेस नेता और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव अंबिकापुर सीट पर भाजपा के राजेश अग्रवाल से 94 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. वहीं, कांकेर सीट पर भाजपा के आशाराम नेताम ने कांग्रेस के उम्मीदवार शंकर ध्रुवा से सबसे कम 16 वोटों के अंतर से चुनाव जीता है.
आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में 66, राजस्थान में 85 और छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर सीट पर उसे हार मिली. पार्टी तीनों राज्यों में से किसी में भी 1% वोट हासिल करने में विफल रही, जो नोटा विकल्प से भी कम वोट हैं.