फिल्म के निर्माताओं ने कहा, ‘हम क़ानून का पालन करने वाले कॉरपोरेट नागरिक हैं. फिल्म रिलीज़ करने के लिए ज़रूरी मंज़ूरी जल्द ही हासिल कर लेंगे.’
एक बार शोहरत या पैसा, या दोनों हासिल कर लेने के बाद भारतीय अभिनेता, कारोबारी और खिलाड़ी सामाजिक मुद्दों या सरकार के ख़िलाफ़ बोलकर इसे दांव पर लगाने का ख़तरा मोल नहीं लेना चाहते.
वीडियो: आम आदमी पार्टी के विकास पर आधारित ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन फिल्म की निर्देशक जोड़ी खुशबू रांका और विनय शुक्ला से अजय आशीर्वाद की बातचीत.
मीडिया बोल की 23वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश फिल्म पद्मावती से जुड़े विवाद पर वरिष्ठ पत्रकार रितुल जोशी और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं.
अभिनेता ऋषि कपूर ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला का समर्थन करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर हमारा है और पीओके उनका. इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर किए गए ट्रोल.
मशहूर शायर व गीतकार ने कहा, टीपू सुल्तान भारतीय नहीं थे और अगर मैं इससे सहमत नहीं, तो मैं राष्ट्रद्रोही बन जाऊंगा, तो मैं राष्ट्रद्रोही हूं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड के पास रिलीज़ की अनुमति देने के लिए पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं.
इस फिल्म के दो नायक हैं, अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव. दोनों एक-दूसरे से उतने ही अलग हैं जैसे कि भाप और बर्फ.
निर्देशक खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने कहा, फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर अरविंद केजरीवाल के एक राजनेता के तौर पर उभरने की कहानी है.
मनोज बाजपेयी बॉलीवुड के उन गिने-चुने कलाकारों में से हैं जो हिट या फ्लॉप की चिंता किए बगैर अपना काम करते हैं.
साल 2015 में बढ़ती असहिष्णुता और एफटीआईआई अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाले 24 निर्देशकों में से कुंदन शाह भी एक थे.
बाद में अभिनेता ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं कि ख़ुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दूं. यह मुझे मेरे काम की वजह से मिला है और मुझे इस पर गर्व है.’
हृषिकेश सिनेमा के रास्ते पर आम परिवारों की कहानी की उंगली थामे निकले थे. ये समझाने कि हंसी या आंसुओं को अमीर-गरीब के खांचे में नहीं बांटा जा सकता.
पंकज त्रिपाठी जब बिहार के छोटे से गांव से पटना पहुंचे तो उन्हें डॉक्टर बनना था, लेकिन वह छात्र राजनीति में कूद पड़े. राजनीति से रंगमंच के रास्ते उनका सफर मुंबई तक पहुंच गया है.
एक शाम किशोर यश चोपड़ा की भाभी ने खाना बनाने के लिए तंदूर में ज्यों-ही आग लगाई, एक बड़े विस्फोट से समूचा घर दहल उठा. तंदूर में यश ने दंगों में इस्तेमाल के लिए बनाए बम छिपाए हुए थे.