वीडियो: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के गंगोलीहाट से संबंध रखने वाले कवि और पेशे से वेटनरी डॉक्टर मोहन मुक्त से उनके कविता संग्रह ‘हिमालय दलित है’ के विशेष संदर्भ में उनके रचनात्मक सरोकार, काव्य-भाषा, पहाड़ों में दलित एवं स्त्री के सवाल और मुस्लिम समाज एवं पसमांदा मुस्लिम समाज के हालात पर बातचीत.
राज्यसभा में भाजपा सांसद हरिनाथ सिंह यादव ने पूछा था कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया या देश के किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान में पाकिस्तानी लेखक की किताब पढ़ाई जा रही है और क्या इसके लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.
सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन की चार किताबें - ‘संविधान और हम’, ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, ‘जीवन में संविधान’ और ‘भारत का संविधान: महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क’ हाल ही में प्रकाशित होकर आई हैं. संविधान के निर्माण और इसके पीछे के संघर्ष के अलावा ये किताबें आज़ादी के बाद संवैधानिक मूल्यों की लड़ाई और तिल-तिल कर जी रहे वंचित और दबे हुए लोगों की दास्तान हैं.
वीडियो: हाल ही में राजकमल प्रकाशन से अशोक कुमार पांडेय की किताब ‘सावरकर: काला पानी और उसके बाद’ प्रकाशित होकर आई है. इस किताब में कई ऐसी सच्चाइयों को बयान किया गया है, जिसका उल्लेख कम ही किया जाता है. लेखक का कहना है कि किसी के बारे में जानने के लिए यह नहीं पढ़ना चाहिए कि दूसरों ने उन पर क्या लिखा है, बल्कि वह पढ़ा जाना चाहिए, जो उन्होंने ख़ुद लिखा है. इससे उनके मूल विचारों का पता
राम मंदिर क्षेत्र के पास रसूख़दारों द्वारा ज़मीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त के गोरखधंधे में घिरी अयोध्या की एक चिंता यह भी है कि सत्ता समर्थित मूल्यहीन भव्यता के हवाले होती-होती वह राम के लायक भी रह पाएगी या नहीं?
इसमें से पांच मामलों में लेन-देन को लेकर हितों के टकराव का मामला उत्पन्न होता है, क्योंकि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने जो ज़मीन बेची है, वह दलितों से ज़मीन खरीदते समय कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है. इस मामले की जांच वही अधिकारी कर रहे हैं, जिनके रिश्तेदारों ने ज़मीन खरीदी है.
वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय की नई किताब ‘द डिमोलिशन एंड द वर्डिक्ट: अयोध्या एंड द प्रोजेक्ट टू रिकन्फिगर इंडिया’ हाल ही में आई है. इस किताब के ज़रिये राम जन्मभूमि-अयोध्या आंदोलन के भारत की राजनीति और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर नीलांजन से महताब आलम की बातचीत.
वीडियो: हाल ही में जाने-माने लेखक, पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई की पहली हिंदी किताब प्रकाशित होकर आई है, जिसका नाम है, भारत के प्रधानमंत्रीः देश, दशा, दिशा. इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की एक विवेचना पेश की गई है. इस किताब के ज़रिये रशीद किदवई से बातचीत.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की हालिया किताब की बिक्री और प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से मना करते हुए कहा कि यह 'एक मौक़ापरस्त याचिकाकर्ता' हैं जिन्होंने प्रचार के लिए याचिका दायर की.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान ख़ुर्शीद की किताब पर रोक लगाने की याचिका ख़ारिज करते हुए की थी. फ़ैसले के विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा कि असहमति का अधिकार जीवंत लोकतंत्र का सार है. संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर सिर्फ किसी के लिए अप्रिय होने की आशंका के आधार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती.
कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद द्वारा अपनी किताब ‘सनराइज़ ओवर अयोध्याः नेशनहुड इन आर टाइम्स’ में कथित तौर पर ‘हिदुत्व’ की तुलना जिहादी आतंकी संगठनों से की गई है, जिसके बाद विवाद छिड़ गया है. भाजपा के अलावा ख़ुर्शीद को इस किताब के कारण अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा है.
दक्षिणपंथी समूह हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की किताब ‘सनराइज़ ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स’ पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करते हुए दावा किया है कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले किताब लाने का उद्देश्य अल्पसंख्यकों का ध्रुवीकरण और वोट हासिल करना है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की नई किताब 'सनराइज़ ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स' में कथित तौर पर हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे कट्टरपंथी समूहों से की गई है, जिसे लेकर भाजपा और उनकी अपनी पार्टी के नेताओं ने आपत्ति दर्ज करवाई है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वे उनके राज्य में इस किताब पर प्रतिबंध लगवाएंगे.
वीडियो: व्यंग्य के रूप में हिंदी साहित्य में हम हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल जैसे नामों को हम देखते आए हैं. वर्तमान में इन नामों की परंपरा को आगे सहेजने वालों में ज्ञान चतुर्वेदी जी का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. 70 के दशक में धर्मयुग पत्रिका से अपनी व्यंग्य यात्रा शुरू करने वाले ज्ञान चतुर्वेदी ने अपनी रचनाओं के ज़रिये इस विश्वास को आधार भी दिया है. हाल ही में उनकी किताब नेपथ्य लीला आई है.
वीडियो: अक्सर मुसलमानों के हित की बात करने वाले हर व्यक्ति को कह दिया जाता है कि तुम भी पाकिस्तान चले जाओ और साथ में इन बचे-खुचे मुसलमानों को भी ले जाओ, क्योंकि पाकिस्तान इन्होंने ही बनवाया था. कुछ ऐसी ही बातें नई किताब ‘कॉन्टेस्टेड होमलैंड्स: पॉलीटिक्स ऑफ स्पेस एंड आइडेंटिटी’ कहती है. जैसे- मुस्लिम मोहल्लों को आज भी ‘मिनी पाकिस्तान’ समझा जाता है. इसकी लेखक नाज़िमा परवीन ने किस अनुभव के चलते ये बातें कहीं हैं. हमने इस वीडियो