राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान पहले वर्ष यानी साल 2020 में बेरोज़गारों के बीच आत्महत्या की सबसे अधिक संख्या देखी गई. पिछले कुछ सालों में पहली बार यह 3,000 का आंकड़ा पार कर गया.
आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच ने कहा कि आम बजट में जनजातीय समुदाय की अनदेखी करते हुए उसके लिए कुल बजट की 8.6 प्रतिशत राशि के बजाय केवल 2.26 प्रतिशत राशि आवंटित की गई है.
राइट टू एजुकेशन फोरम का कहना है कि बजट के आधे-अधूरे और अदूरदर्शी प्रावधान बताते हैं कि सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है. डिजिटल लर्निंग और ई-विद्या संबंधी प्रस्ताव निराशाजनक हैं, जिनसे वंचित वर्गों समेत अस्सी फीसदी बच्चों के स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.
आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन को 35 फीसदी बढ़ाते हुए उम्मीद की गई है कि राज्य सरकारें पीएम गति शक्ति परियोजना, जिसका मकसद नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत चिह्नित नए इंफ्रा प्रोजेक्ट्स हेतु फंड जुटाने के लिए सरकारी परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण है, के तहत फंडिंग में योगदान करेंगी. पर सवाल है कि सरकार द्वारा सार्वजनिक निवेश में इज़ाफ़ा किस हद तक निजी निवेशक को प्रोत्साहित कर पाएगा?
कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले लगभग पांच सालों से किसानों की आय दोगुनी करने की बात जोर-शोर से कही जाती रही है कि वर्ष 2022 तक इस मंज़िल को हासिल करने की सरकार की योजना है, लेकिन बजट में इस बहुप्रचारित ‘दावे’ पर चुप्पी साध ली गई है. उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो नरेगा सहित तमाम मदों में कमी ही की गई है और कृषि प्रणाली में जान फूंकने जैसा कोई प्रयास नहीं दिखता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बजट में लघु उद्योगों एवं देश में रोज़गार सृजन को लेकर काफी सीमित प्रयास किए गए हैं जो चिंताजनक हैं.
इस साल स्वास्थ्य बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में सात फीसदी की कटौती की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे क़रीब सौ छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को ख़ारिज कर आवंटन में बढ़ोतरी करे.
शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.
भारत का रक्षा बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4.78 करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.
निजीकरण की प्रक्रिया के तहत टाटा लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड, नीलाचल इस्पात में 93.71 प्रतिशत इक्विटी हासिल करने में सक्षम होगी. नीलाचल इस्पात का ओडिशा के कलिंगनगर में 11 लाख टन की क्षमता वाला एकीकृत इस्पात संयंत्र है, जो भारी घाटे में चल रहा है और यह 30 मार्च, 2020 से बंद है. एयर इंडिया के बाद मोदी सरकार का यह दूसरा निजीकरण समझौता होगा. टाटा समूह ने हाल ही में एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में ख़रीदा है.
केंद्रीय बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केवल एक नई योजना की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाया है, इसलिए 'गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम' शुरू किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय के वित्तीय वर्ष 2022-23 के आवंटन में बीते साल की तुलना में पांच फीसदी की कटौती के साथ 17,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह 2018-19 के बाद से इस मंत्रालय के लिए सबसे कम बजटीय आवंटन है.
बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.
द वायर ने आठ बिंदुओं में समझाने की कोशिश की है कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने प्रमुख क्षेत्रों और कुछ महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं पर कितना ख़र्च किया है और आने वाले वर्षों में वह इसके लिए कितना ख़र्च करने की बात कह रही है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया और मानक कटौती को भी यथावत रखा है, जिसकी सीमा फिलहाल 50,000 रुपये है. विपक्षी नेताओं ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें देश के किसानों, ग़रीबों, वेतनभोगियों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है.