सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद भी असम में 47 लोगों के घरों पर सरकारी आदेश से बुलडोजर चला दिए गए, जिसके बाद इन लोगों ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर इस कार्रवाई को अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है.
समुचित क़ानूनी प्रक्रिया के बिना किसी नागरिक के आवास को ध्वस्त करना न केवल देश के क़ानून का, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का भी उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'बुलडोज़र जस्टिस' के ख़िलाफ़ दायर याचिका सुनते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई (1 अक्टूबर) तक उसकी अनुमति के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. यह निर्देश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइनों या अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होगा.
वीडियो: देश के विभिन्न राज्यों में सज़ा देने के नाम पर आरोपियों, ख़ासकर मुस्लिम अभियुक्तों के घर और संपत्ति तोड़े जाने के ख़िलाफ़ एक याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भले ही दोषी ठहराया गया हो, पर उनका घर नहीं गिराया जा सकता. इस बारे में मामले के वकील सारिम नावेद और द वायर के पॉलिटिकल एडिटर अजॉय आशीर्वाद से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट ने तथाकथित बुलडोजर 'जस्टिस' के ख़िलाफ़ टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी है तब भी उससे जुड़ी संपत्ति को नहीं तोड़ा जा सकता. साथ ही अदालत ने इस बारे में पूरे देश में एक समान दिशानिर्देश बनाने का सुझाव दिया है.
मध्य प्रदेश में एक कांग्रेस नेता के घर को बुलडोज़र से ढहाए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पार्टी संविधान की घोर अवहेलना तथा नागरिकों के बीच भय पैदा करने की रणनीति के रूप में बुलडोज़र के इस्तेमाल के लिए भाजपा शासित राज्य सरकारों की कड़ी निंदा करती है.
राजस्थान के उदयपुर में 10वीं कक्षा के एक छात्र ने अपने सहपाठी पर चाकुओं से हमला कर दिया था, जिसके बाद शहर में सांप्रदायिक तनाव भड़क गया था. अब शहर नगर निगम ने 15 वर्षीय आरोपी के उस घर को बुलडोजर से गिरा दिया है, जिसमें वह किराए से रहता था.
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कुकरैल नदी पुनर्जीवन परियोजना के तहत लखनऊ में ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई रोक दी है. ऐसा मानना है कि इस नरमी का एक सिरा लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति में जारी उस उठापटक तक भी जाता है, जिससे मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए अब यह फैशन बन गया है कि वे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना किसी भी घर को ध्वस्त कर दें. अदालत ने उज्जैन नगर निगम अधिकारियों के ख़िलाफ़ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ का भी निर्देश दिया है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में होने वाली ‘बुलडोज़र कार्रवाइयों’ को लेकर दो रिपोर्ट जारी करते हुए मुस्लिमों के घरों, कारोबार और उपासना स्थलों के व्यापक और ग़ैर-क़ानूनी विध्वंस को तत्काल रोकने का आह्वान किया है. रिपोर्ट बताती है कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश में ‘सज़ा के तौर’ पर सर्वाधिक 56 बुलडोज़र कार्रवाइयां हुईं.
वीडियो: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर विभिन्न राज्यों में निकाली गई शोभायात्राओं में हुई झड़पों और यूपी में कम से कम दो मस्जिदों में जबरन घुसकर भगवा झंडे लगाने की घटनाओं पर बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
मुंबई के मीरा रोड के नया नगर में रविवार को उस समय झड़पें हुई थीं, जब श्रीराम शोभा यात्रा इलाके से गुज़र रही थी. बीते 22 जनवरी की रात तक पुलिस ने झड़प के सिलसिले में एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने बताया है कि अब क्षेत्र में 15 ‘अवैध’ संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाया गया है.
मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने पार्टी के एक कार्यकर्ता पर हमला करने के आरोपी तीन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया है. यह कार्रवाई उस घोषणा के एक दिन बाद की गई है, जब मुख्यमंत्री ने धार्मिक समारोहों और सार्वजनिक स्थानों पर निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि में लाउडस्पीकर/डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
वीडियो: भारतीय जनता पार्टी के ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ के नारे से बिल्कुल उलट बीते मंगलवार (21 नवंबर) को दिल्ली के मथुरा रोड पर निज़ामुद्दीन दरगाह के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के कारण ठंड के दिनों में सैकड़ों लोग बेघर हो गए. उन्हें अपने घर ख़ाली करने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया गया था.
विशेष रिपोर्ट: 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से लगभग हर संगीन अपराध में न्यायिक फैसले का इंतजार किए बिना आरोपियों को सज़ा देने के लिए उनसे जुड़े निर्माण अवैध बताकर बुलडोज़र चला दिया गया. कथित अपराध की सज़ा आरोपी के परिजनों को देने की इन मनमानी कार्रवाइयों का शिकार ज़्यादातर मुस्लिम, दलित और वंचित तबके के लोग ही रहे.