कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती में अनियमितताओं के लिए 53 प्राथमिक शिक्षकों को सेवा से बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया है. वे उन 269 लोगों में शामिल हैं, जिनकी सेवा अदालत ने पहले के अपने एक आदेश में समाप्त कर दी थी.
पश्चिम बंगाल की कल्याणी यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर के ख़िलाफ़ यौन शोषण के आरोप को लेकर यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति ने पीड़िता के जल्द शिकायत न करने की बात कही थी. उसकी रिपोर्ट को नियम विपरीत बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी शिकायतें आम तौर पर बहुत सोच-विचार के बाद दायर की जाती हैं.
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने नवंबर 2021 में दुआरे राशन योजना की शुरुआत की थी, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को उनके घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. हाईकोर्ट ने इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उल्लंघन बताया है.
पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय की एक शोध छात्रा से बलात्कार का प्रयास करने के आरोपों से घिरे प्रोफेसर के खि़लाफ़ 25 जून को मामला दर्ज किया गया था. गिरफ़्तारी के बाद अदालत ने उन्हें छह अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
सीबीआई ने एफ़आईआर में समिति के पूर्व अध्यक्ष शांति प्रसाद सिन्हा, स्कूल सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार, आयोग के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा और इसके पूर्व कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य को नामजद किया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के नाम का भी उल्लेख है.
कलकत्ता हाईकोर्ट एक अभ्यर्थी द्वारा दायर उस याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि भर्ती परीक्षा में शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी के मुक़ाबले ज़्यादा अंक लाने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दी गई. अदालत ने उनकी शिक्षक नियुक्ति को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि वह नवंबर 2018 से अभी तक प्राप्त वेतन की पूरी राशि दो किस्तों में रजिस्ट्रार के पास जमा कराएं.
एक टीएमसी नेता के 21 वर्षीय बेटे पर नदिया ज़िले के हंसखली में कक्षा 9 की छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप है. हाईकोर्ट ने मामले की जांच तत्काल सीबीआई को सौंपते हुए कहा कि वह इस सच से आंखें नहीं मूंद सकते कि आरोपी सत्तारूढ़ पार्टी के एक प्रभावशाली नेता का बेटा है और केस डायरी से संकेत मिला है कि पीड़ित परिवार को धमकाया गया है.
पश्चिम बंगाल में पहले वाम हिंसा का बोलबाला था, वही संस्कृति तृणमूल ने अपनाई. तृणमूल ने वाम हिंसा का सामना किया था, पर उसकी जगह अब उसने तृणमूल हिंसा स्थापित कर दी. दल भले बदल गए, लेकिन हिंसा बनी हुई है.
इस मामले को लेकर कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश जारी किया था, जिसके बाद उन्होंने बीते 14 सितंबर को फैसला किया कि पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए ट्रांसजेंडर भी आवेदन कर सकते हैं. एक याचिका में कहा गया था कि सब-इंस्पेक्टर और सार्जेंट पदों के लिए निकाले गए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म में ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिए कोई कॉलम नहीं है.
पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती शनिवार को उस समय विवादों में आ गए जब सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कथित तौर पर उन्हें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त क़दम न उठाने के लिए शिक्षकों के एक वर्ग को ज़िम्मेदार ठहराते हुए देखा गया.
पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में विद्युत चक्रवर्ती के अक्टूबर 2018 से पदभार संभालने के बाद से यहां शिक्षक और छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके पद संभालने के बाद नवंबर 2019 से 22 स्टाफकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है, जिनमें 11 फैकल्टी के सदस्य और 11 ग़ैर-शिक्षण कर्मचारी हैं. वहीं, 150 से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं.
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति की जांच रिपोर्ट के बाद यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है. बताया जा रहा है कि आयोग की समिति के कुछ सदस्यों के भाजपा से संबंध थे. सीबीआई जांच करने का फ़ैसला देने वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस सौमेन सेन ने कहा है कि इनकी पृष्ठभूमियों को देखते हुए उन्हें समिति में शामिल करने से बचा जा सकता था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन का भी आदेश दिया है. पीठ ने कहा कि सीबीआई और एसआईटी जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि एनएचआरसी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण थी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में हलफ़नामा दायर कर आरोप लगाया गया है कि एनएचआरसी जांच समिति के सदस्यों के भाजपा नेताओं या केंद्र सरकार के साथ क़रीबी संबंध हैं. एनएचआरसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि बंगाल में क़ानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का क़ानून चल रहा है. बंगाल में हिंसक घटनाएं पीड़ितों की दशा के प्रति राज्य सरकार की उदासनीता को दर्शाती है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ नागरिक के अपने घर में रहने के अधिकार को विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के चश्मे से देखा जाना चाहिए. अब यह अच्छी तरह से तय हो चुका है कि वरिष्ठ नागरिक के घर में रहने वाले बच्चे और उनके जीवनसाथी ज़्यादा से ज़्यादा ‘लाइसेंसधारक’ होते हैं. यदि वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों और परिवार के साथ खुश नहीं हैं, तो इस लाइसेंस को समाप्त भी किया जा सकता है.