कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया है. ट्रूडो ने कहा कि हम मामले का भड़काने या बात बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. हम तथ्यों को वैसे ही सामने रख रहे हैं, जैसा हम उन्हें समझते हैं. भारत ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
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जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके संबंध में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई संसद में ख़ुलासा किया है कि इसके पीछे भारत सरकार के खुफिया एजेंटों का हाथ था.
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अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में बीते 2 जुलाई को खालिस्तान समर्थकों ने कथित तौर पर आग लगा दी थी. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि देश में राजनयिक केंद्रों या विदेशी राजनयिकों के ख़िलाफ़ हिंसा एक अपराध है. मार्च महीने में भी खालिस्तान समर्थकों के एक समूह द्वारा इस दूतावास पर हमला किया गया था.
केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हमने पहले ही अपने साथी देशों जैसे कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया है कि वे खालिस्तानियों को जगह न दें, क्योंकि उनकी कट्टरपंथी, चरमपंथी सोच न तो हमारे लिए अच्छी है, न उनके लिए और न ही हमारे संबंधों के लिए.
पंजाब में जालंधर का रहने वाला 46 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर सक्रिय रूप से खालिस्तान टाइगर फोर्स के सदस्यों के संचालन, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण और वित्तपोषण में शामिल था. वह भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक था. उसने कनाडा के ब्रैम्पटन में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी.
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700 से अधिक भारतीय छात्र कनाडा से निर्वासन होने की कगार पर हैं, क्योंकि कनाडा के अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के ‘प्रवेश प्रस्ताव पत्र’ को नकली पाया है. इनमें से ज़्यादातर पंजाब से हैं. पंजाब के प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने केंद्रीय विदेश मंत्री को पत्र लिखकर समस्या सुलझाने की मांग की है.
ऑडियो: कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री रहे उज्जल दोसांझ ने द वायर से बातचीत में उनके राजनीति में उतरने की परिस्थितियों के बारे में बताया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिख समुदाय में बढ़ते कट्टरपंथ की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा.
भारत द्वारा प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस ने 06 नवंबर को टोरंटो के पास मिसिसॉगा में ख़ालिस्तान की मांग वाले जनमत संग्रह का प्रस्ताव रखा है. भारत ने कनाडा से आग्रह किया कि वह अपने क़ानूनों के तहत उन व्यक्तियों, संस्थाओं को आतंकवादी घोषित करे जिन्हें भारतीय क़ानूनों के तहत आतंकी घोषित किया गया है.
भारतीय अप्रवासी राजनीति अब भारत के ही सूरत-ए-हाल का अक्स है. वही ध्रुवीकरण, वही सोशल मीडिया अभियान, वही राजनीतिक और आधिकारिक संरक्षण और वैसी ही हिंसा. असहमति तो दूर की बात है, एक भिन्न नज़रिये को भी बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है.
कनाडा में हुए ‘तथाकथित ख़ालिस्तानी जनमत संग्रह’ को आपत्तिजनक बताने के बाद भारत ने कनाडा में बढ़ते हेट क्राइम और भारत विरोधी गतिविधियों से जुड़ी घटनाओं में तीव्र वृद्धि का हवाला देते हुए वहां रह रहे भारतीय नागरिकों और छात्रों को सचेत रहने की सलाह दी है.
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 3,92,643 थी. इसमें वर्ष 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि 2020 में 85,256 और वर्ष 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.
एक स्त्री निर्देशक जब काली की छवि को अपनी बात कहने के लिए चुनती है तो वह लैंगिक न्याय और स्वतंत्रता में उसकी आस्था का प्रतीक है. क्या इंटरनेट पर आग उगल रहे तमाम ‘आस्थावान’ स्त्री स्वतंत्रता के इस उन्मुक्त चित्रण से भयभीत हो गए हैं? या उन्हें काली की स्वतंत्रता के पक्ष में स्त्रियों का बोलना असहज कर रहा है?