गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर गुजरात की मांग क्यों नहीं पूरी की जा रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने से राज्य को प्रतिदिन करीब 16,000 शीशियों की आपूर्ति जारी रखी है, जबकि मांग प्रतिदिन लगभग 25,000 शीशियों की थी.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर रविवार को हिसार में एक कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे, जहां कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान पहुंच गए. उन्हें कार्यक्रम स्थल से पहले ही रोक दिया गया और यहां उनके और पुलिस के बीच झड़प हुई. इसमें 70 से अधिक किसान और कुछ पुलिस कर्मी घायल हुए हैं.
केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.
कोरोना संक्रमण मोदी सरकार की स्क्रिप्ट के हिसाब से नहीं आया था और इसीलिए इसका कोई तसल्लीबख़्श जवाब उसके पास नहीं है.
साक्षात्कार: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने द वायर से बात करते हुए देश के कोविड संकट के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि सरकार लोगों को उनके हाल पर छोड़ चुकी है, ऐसे में अपनी सुरक्षा करें और एक दूसरे का ख़याल रखें.
पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच के समय में बदलाव नहीं किया गया है.
असम एनआरसी के समन्वयक हितेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर दावा किया है कि एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में कई गंभीर, मौलिक और महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई हैं, इसलिए इसके पुन: सत्यापन की आवश्यकता है. सत्यापन का कार्य संबंधित ज़िलों में निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए.
अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.
सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए. मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर वह बिल्कुल हैरान है. साथ ही संगठन ने कहा कि मंत्रालय ने पेशवरों के सुझावों को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंज़ूरी दे दी. इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज़्यादा है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया, क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर धोखाधड़ी की.
यह कार्यशाला ऐसे समय आयोजित की गई है, जब कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण संक्रमण और मौत के मामलों बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है. इसे लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. इसका आयोजन सरकारी मंच माईजीओवी (MyGov) की ओर से किया गया, जिसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी हिस्सा लिया.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते 31 मार्च को जब केंद्र से महाराष्ट्र को मिली 26.77 लाख वैक्सीन की खुराक को सभी ज़िलों में बांटा गया था, तब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के गृह ज़िले जालना को उसके लिए आवंटित सत्रह हज़ार खुराक के साथ 60 हज़ार अतिरिक्त खुराक मिली थी.
कोविड महामारी के इस भीषण संकट के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबावदेही का यही एक काम कर सकते हैं कि वे अपनी कुर्सी छोड़ दें.
दो पत्रकारों की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से धारा 124-ए को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया. याचिका में दावा किया गया कि धारा 124-ए बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है.