गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में मनोरोग से जूझ रहे रोगियों की कुल संख्या 2020 के 3,584 से बढ़कर साल 2022 में 4,940 हो गई. आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2022 तक 658 जवानों ने आत्महत्या की.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यह आदेश एक सीआरपीएफ कॉन्स्टेबल की याचिका पर दिया, जिसमें एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने सीआरपीएफ द्वारा जारी आदेश के ख़िलाफ़ कॉन्स्टेबल की अपील को ख़ारिज कर दिया था, जिसने उन्हें इस आधार पर पदोन्नति देने से इनकार कर दिया था कि वह एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले का मामला. एक रिपोर्ट के अनुसार, दरभा गांव में रहने वाले तीन परिवारों से कथित तौर पर 2 जुलाई को कथित माओवादियों ने मुलाकात की और उनसे सीआरपीएफ भर्ती हुए युवकों को बल छोड़ने के लिए मनाने या उनके परिवारों को परिणाम भुगतने के लिए कहा गया था. उसके बाद उन्होंने गांव छोड़ दिया.
अग्निवीर योजना के भारी विरोध के चलते बीते वर्ष सरकार ने विभिन्न नौकरियों में सेना से निकाले गए अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी. अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा कॉन्स्टेबलों की भर्ती के लिए संशोधित नियम कहा गया है कि भर्ती होने से पहले अग्निवीरों को एक लिखित परीक्षा पास करनी होगी.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया कि देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में 29,283, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 19,987 और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में 19,475 कर्मियों की कमी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त मंत्रालय की 2003 की एक अधिसूचना और पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग के 2020 के एक कार्यालयीन पत्र को ख़ारिज कर दिया, जिनमें 1 जनवरी, 2004 के विज्ञापनों के अनुरूप केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित रखा गया है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में बुरकापाल गांव के क़रीब 24 अप्रैल 2017 को नक्सलियों ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के एक दल पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी. आदिवासियों की वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने सवाल उठाया कि उन्होंने जो अपराध नहीं किया, उसके लिए उन्हें इतने साल जेल में क्यों बिताने पड़े. इसकी भरपाई कौन करेगा.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 50वीं बटालियन के एक शिविर में जवान रितेश रंजन ने अपने साथियों पर एके-47 राइफल से गोली चला दी थी, जिससे चार जवानों की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए. सीआरपीएफ ने कहा कि जवान कथित तौर पर तनाव से गुज़र रहा था.
शोपियां जिले में हुई इस घटना में मारे गए व्यक्ति की पहचान शाहिद अहमद राथर के रूप में हुई है, जो एक दिहाड़ी मज़दूर थे. सीआरपीएफ ने दावा किया है कि आतंकियों की ओर से हुई गोलीबारी का जवाब देते वक़्त यह वाक़या हुआ. घटना पर घाटी के मुख्यधारा के दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
कश्मीर के विपक्षी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस टिप्पणी पर हैरानी जताई और कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में दिए उनके बयान 'दिल जीतकर दिल्ली और जम्मू कश्मीर के अंतराल को पाटना होगा' का हवाला देते हुए कहा कि सूबे के दर्जे को कमज़ोर करके दिलों को नहीं जीता जा सकता है.
सात अक्टूबर को अनंतनाग में एक सीमा चौकी के पास रुकने का संकेत देने के बावजूद एक कार के न रुकने पर सीआरपीएफ जवानों ने गोलियां चला दीं, जिसमें परवेज़ अहमद नाम के एक शख़्स की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी सहमति के बिना ही शव दफ़ना दिया. परवेज़ के परिवार के साथ घाटी के कई नेताओं ने इस घटना की जांच की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के एडेसमेट्टा गांव में साल 2013 में सीआरपीएफ की कोबरा इकाई द्वारा की गई फायरिंग में आठ लोग मारे गए थे, जिसमें से चार नाबालिग थे. सुरक्षाबलों ने दावा किया था कि वे नक्सली थे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस वीके अग्रवाल ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस मुठभेड़ को ‘एक ग़लती’ बताया है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने अपहृत पुलिस अधिकारी मुरली ताती के शव के पास एक पर्चा भी रखा था, जिसमें ताती को जन अदालत में सजा दिए जाने की बात कही गई है. बीते 21 अप्रैल को नक्सलियों ने बीजापुर ज़िले के पालनार क्षेत्र से मुरली ताती का अपहरण कर लिया था. पालनार ताती का गृह ग्राम है. वह बस्तर ज़िले के जगदलपुर में तैनात थे.
नक्सल समस्या केवल ‘पुलिस समस्या’ नहीं है जो केवल बल प्रयोग से हल हो जाए- इसके अनेक जटिल पहलू हैं. सरकार को अपना झूठा अहंकार त्यागकर उन पहलुओं को भी संबोधित करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले के बाद कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को बंधक बना लिया था. उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन गुरुवार को उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया.