जिन ग़ैर सरकारी संगठनो का लाइसेंस रद्द किया गया है उनमें सीएनआई सिनोडिकल बोर्ड ऑफ सोशल सर्विस, वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंडो-ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी, चर्च ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन और इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया शामिल हैं.
यह तमिलनाडु स्थित दूसरा ईसाई संगठन है, जिसका एफसीआरए लाइसेंस 2024 में रद्द कर दिया गया है. इससे पहले ‘वर्ल्ड विज़न इंडिया’ का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. यह चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार एफसीआरए का उपयोग उन एनजीओ की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कर रही है, जो इसकी आलोचना करते हैं.
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केंद्र सरकार के थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द करने को संस्थान ने असंगत और समझ से बाहर बताते हुए कहा है कि वह पूरी तरह क़ानूनों का अनुपालन करता है.
हाल में कई ग़ैर-सरकारी संगठनों के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द या निलंबित किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व नौकरशाहों ने एक पत्र में कहा कि मतभेद या असहमति की हर अभिव्यक्ति को देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन या जनहित के ख़िलाफ़ नहीं माना जा सकता है.
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केंद्रीय गृह मंत्रालय का विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) संबंधी पोर्टल बताता है कि 26 मार्च 2023 तक सक्रिय एफसीआरए लाइसेंस वाले संगठनों की संख्या 16,352 थी. 12 अगस्त 2022 को यह आंकड़ा 16,727 था.
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने से पहले इसे मिले आयकर विभाग के नोटिस में संगठन के छत्तीसगढ़ में हसदेव आंदोलन में शामिल एनजीओ से जुड़ाव का प्रमुख तौर पर ज़िक्र किया गया है. हालांकि, नोटिस में जिस बात का उल्लेख नहीं है वो यह कि हसदेव क्षेत्र बीते क़रीब एक दशक से अडानी समूह के ख़िलाफ़ विराट आदिवासी आंदोलन का केंद्र है.
आयकर विभाग द्वारा इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के कार्यालयों में 'सर्वे' के बाद दोनों संस्थानों ने नियमों के दायरे में काम करने की बात कही है. वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए आलोचकों की आवाज़ दबाने का सरकारी प्रयास क़रार दिया है.
बुधवार को आयकर विभाग द्वारा इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालयों में किए गए 'सर्वे' की निंदा करते हुए विभिन्न स्वतंत्र डिजिटल मीडिया संस्थानों के संगठन डिजीपब ने कहा कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर लगाम कसने की दमनकारी प्रवृत्ति है.
आयकर विभाग द्वारा कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और उनके कथित संदिग्ध वित्तीय लेन-देन को लेकर कई राज्यों में छापेमारी की गई है. सूत्रों ने बताया है कि थिंक टैंक में हुई कार्रवाई का संबंध भी इसी मामले से है. सीपीआर ने अब तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इस खदान का संचालन राजस्थान कोलिरीज लिमिटेड करेगी, जो कि अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक इकाई है.
छत्तीसगढ़ के परसा हसदेव अरंद खदान की क्षमता पांच मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है और इसका संचालन राजस्थान कोलिरीज लिमिटेड करती है. यह अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की इकाई है.