मतदाताओं की संख्या क्यों छिपा रहा है चुनाव आयोग?

एडीआर और कॉमन कॉज़ की चुनाव आयोग को मतदाताओं की संख्या से संबंधित फॉर्म 17 सी का रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का निर्देश देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के इनकार और आयोग के आचरण को लेकर उठते संदेह पर सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाताओं के आंकड़े जारी करने का निर्देश देने से इनकार किया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज़ ने एक याचिका में मौजूदा लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत के डेटा के तत्काल प्रकाशन की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ऐसा कोई निर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि वह छुट्टियों के बाद इस मामले को सुनेगा.

‘चुनावी बॉन्ड फैसला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार और लेन-देन की कलई खुलने की पहली सीढ़ी है’

भारतीय स्टेट बैंक की चुनावी बॉन्ड के विवरण जारी करने के लिए मांगे गए समय विस्तार की याचिका ख़ारिज किए जाने का स्वागत करते हुए मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज़ ने कहा है कि यह फैसला भारतीय नागरिकों के यह 'जानने के अधिकार' को बरक़रार रखता है कि किस पार्टी को कौन, कितना पैसा दे रहा है.

क्या भारतीय स्टेट बैंक ‘प्रधानमंत्री चंदा छिपाओ’ योजना की तरह काम कर रहा है?

भारतीय स्टेट बैंक का सारा कामकाज डिजिटल प्रणाली से होता है. किसी भी तरह का रिकॉर्ड या जानकारी हासिल करना हो तो केवल एक क्लिक से हो जाता है. पर बैंक पूरे देश के सामने झूठ बोल रहा है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी हासिल करने में काफी वक़्त लगेगा. यह झूठ किसके दबाव में बोला जा रहा है?

गुजरात में 33 फीसदी लोग राजनीतिक राय ऑनलाइन साझा करने से डरते हैं: सर्वे

‘स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2023’ नामक रिपोर्ट में गुजरात में इंटरनेट यूज़र्स के व्यवहार को जांचा-परखा गया. इसके तहत किए गए एक सर्वे में सामने आया कि राज्य में 33 फीसदी लोगों को राजनीतिक या सामाजिक राय ऑनलाइन साझा करने पर क़ानूनी कार्रवाई का डर सताता है. वहीं, अन्य 46 फीसदी ने कहा कि वे ‘कुछ हद तक डरे हुए’ हैं.

पारदर्शिता संबंधी चिंताओं के बीच राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले 10,000 करोड़ रुपये

राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिलने वाले चंदे को लेकर 'अपारदर्शिता' संबंधी चिंताओं के बीच आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि हाल में ख़त्म हुए बॉन्ड बिक्री के 21वें चरण तक 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिक चुके हैं.

ईडी प्रमुख का कार्यकाल अनिश्चितकाल तक बढ़ाना जारी नहीं रख सकतेः सुप्रीम कोर्ट

एनजीओ कॉमन कॉज़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाकर 18 नवंबर 2021 तक किए जाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को चुनौती दी है. 19 नवंबर 2018 को उनका कार्यकाल दो साल तय किया गया था. नवंबर 2020 में कार्यकाल के कुछ ही दिन शेष रहने पर सरकार ने वास्तविक नियुक्ति आदेश में संशोधन कर उसे तीन साल कर दिया था.

नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाने के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि नए सीबीआई निदेशक की नियुक्त हो जाने के कारण वे इस मामले में कोई दखल नहीं देंगे. इसके अलावा पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के लिए दिशानिर्देश जारी करने से भी इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, अब तक सीबीआई का स्थायी निदेशक नियुक्त क्यों नहीं किया गया

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया अब तक पूरी हो जानी चाहिए थी क्योंकि यह पहले से ही मालूम था कि एजेंसी प्रमुख जनवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

चीफ जस्टिस, जस्टिस सीकरी के बाद जस्टिस रमना ने नागेश्वर राव मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया

जस्टिस एनवी रमना ने ये कहते हुए सुनवाई करने से मना कर दिया कि वे नागेश्वर राव के बेटी की शादी में गए थे. राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

चीफ जस्टिस के बाद अब जस्टिस सीकरी ने भी नागेश्वर राव मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया

एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे से जस्टिस एके सीकरी ने कहा, ‘कृपया मेरी स्थिति को समझें. मैं ये मामला नहीं सुन सकता हूं.’

सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर सुनवाई से अलग हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि वह नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए 24 जनवरी 2019 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में भाग ले रहे हैं, इसलिए वे इस मामले में सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हो सकते हैं.

नागेश्वर राव को सीबीआई की कमान सौंपने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

याचिका में कहा गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्च स्तरीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं की गई थी, जैसा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत अनिवार्य है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उम्मीद है जल्द ही लोकपाल की नियुक्ति करेगी सरकार

शीर्ष अदालत ने फ़िलहाल लोकपाल की नियुक्ति को लेकर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.