सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'बुलडोज़र जस्टिस' के ख़िलाफ़ दायर याचिका सुनते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई (1 अक्टूबर) तक उसकी अनुमति के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. यह निर्देश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइनों या अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होगा.
वीडियो: देश के विभिन्न राज्यों में सज़ा देने के नाम पर आरोपियों, ख़ासकर मुस्लिम अभियुक्तों के घर और संपत्ति तोड़े जाने के ख़िलाफ़ एक याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भले ही दोषी ठहराया गया हो, पर उनका घर नहीं गिराया जा सकता. इस बारे में मामले के वकील सारिम नावेद और द वायर के पॉलिटिकल एडिटर अजॉय आशीर्वाद से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट ने तथाकथित बुलडोजर 'जस्टिस' के ख़िलाफ़ टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी है तब भी उससे जुड़ी संपत्ति को नहीं तोड़ा जा सकता. साथ ही अदालत ने इस बारे में पूरे देश में एक समान दिशानिर्देश बनाने का सुझाव दिया है.
यह दूसरी बार है जब लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल अयोग्य घोषित हुए हैं. इससे पहले जनवरी में हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था. केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा फैसले पर रोक के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई थी.
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद सांसद के रूप में वह अयोग्य घोषित कर दिए गए थे. बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी. अपनी सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की देरी को चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख़ किया था.
लक्षद्वीप में एक अदालत ने बीते 11 जनवरी को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद राकांपा सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल समेत चार लोगों को 10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी. आरोप था कि साल 2009 में अभियुक्तों ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण ग़ैरक़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर कांग्रेस नेता मोहम्मद सलीह पर हमला किया था.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में बताया कि 2018 में महिलाओं के ख़िलाफ़ तेज़ाब हमले के 131 मामले, 2019 में 150 और 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, छह सालों में राजद्रोह क़ानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए. इनमें सबसे ज़्यादा असम में 54 मामले दर्ज किए गए, लेकिन एक भी दोष सिद्ध नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने क़ानून की समीक्षा होने तक राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया है कि इसके तहत कोई नई एफ़आईआर दर्ज न की जाए.
एक विशेष अदालत ने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत तीन अभियुक्तों को एक महिला के सामूहिक बलात्कार और उनकी नाबालिग बेटी के रेप के प्रयास का दोषी ठहराया है. फरवरी, 2017 में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ़्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राजद्रोह के इन मामलों में से 141 में आरोप-पत्र दायर किए गए, जबकि छह साल की अवधि के दौरान इस अपराध के लिए महज छह लोगों को दोषी ठहराया गया. सबसे अधिक 54 मामले असम में दर्ज किए गए, लेकिन एक भी मामले में किसी को दोषी नहीं ठहराया गया. मंत्रालय ने अभी तक 2020 के आंकड़े एकत्रित नहीं किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा अपहरण के मामले में एक ऑटो ड्राइवर को दोषी ठहराने का फ़ैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. ऑटो ड्राइवर ने एक नाबालिग छात्र का अपहरण कर उसके पिता से दो लाख रुपये की फिरौती मांगी थी.
शीर्ष अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के एर्नाकुलम संसदीय सीट पर सौर पैनल घोटाला मामले में दोषी सरिता नायर का नामांकन पत्र निरस्त करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनाए गए फैसले में यह टिप्पणी की.
साल 2018 में पत्रकार जमाल ख़शोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. मामले में वली अहद शहजादा मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसे सांसदों और विधायकों को खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले के ख़िलाफ़ अपील करने का एक अवसर मिलना चाहिए.