सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए ‘आर्सेनिकम एल्बम 30सीएच’, जिसमें कैसरकारक आर्सेनिक होता है, को 38 लाख से 50 लाख स्कूली बच्चों के बीच वितरित करने का निर्णय लिया गया था. याचिका में कहा गया है कि ऐसी छह लाख दवाएं पहले ही वितरित की जा चुकी हैं.
झारखंड के आदिवासी और मानवाधिकार संगठनों ने फादर स्टेन स्वामी की दूसरी पुण्यतिथि पर उनकी ‘हत्या’ के लिए ज़िम्मेदार लोगों को दंडित करने, राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई और यूएपीए को निरस्त करने की मांग की. एल्गार परिषद मामले में आरोपी कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का 5 जुलाई 2021 को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए एक अस्पताल में निधन हो गया था.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी का मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए 5 जुलाई 2021 को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था. उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं इसी मामले में आरोपी बनाए गए कार्यकर्ता महेश राउत.
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र में महामारी के दौरान कोविड जंबो फील्ड सेंटर स्थापित करने में घोटाले का आरोप लगाया था. इस संबंध में अगस्त 2022 में केस दर्ज किया गया था. आरोप है कि शिवसेना नेताओं से जुड़े ठेकेदारों को अत्यधिक दरों पर ठेके दिए गए, जबकि उनके पास स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्व अनुभव नहीं था.
सरकार द्वारा वापस लिए जा रहे अधिकांश मामले धार्मिक, सामाजिक या पारिवारिक आयोजनों के दौरान कोविड-19 लॉकडाउन के उल्लंघन के साथ-साथ रात के दौरान दुकानें खोलने या सड़कों पर घूमने से संबंधित हैं.
नई दिल्ली स्थित कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के लगभग 400 सफाईकर्मियों को 31 मई, 2022 को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया गया था. सभी को वापस काम पर रखने के अदालती आदेश के बावजूद उन्हें बहाल नहीं किया गया. वे 1 जून, 2022 से लगातार अस्पताल के सामने ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
साल 2020-21 में जब भारत कोविड-19 महामारी की पहली लहर की चपेट में था, तब प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत तहत दावों का वितरण 49.2 प्रतिशत बढ़कर 63,181 हो गया था. वित्त वर्ष 2021-22 में यह 438 प्रतिशत बढ़कर 3,40,192 हो गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 पर 15वीं बैठक के बाद इसके महानिदेशक ट्रेडोस एडहेनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि एक साल से अधिक समय से महामारी के मामलों की संख्या नीचे की ओर रही है. अब अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा समाप्त हो जानी चाहिए.
वीडियो: बीते कुछ दिनों में देश में कोविड-19 मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिससे लोगों की चिंता बढ़ी है. हालांकि, वैज्ञानिक इस वृद्धि को 'मामूली' बताते हुए कह रहे हैं कि ऐसे उतार-चढ़ाव उम्मीद के अनुरूप हैं. लेकिन क्या कोई नया सब-वैरिएंट इसकी वजह है? क्या दुनिया के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हुआ है?
वीडियो: कोविड-19 महामारी, अचानक देश में लगाए गए लॉकडाउन और इस दौरान हाशिये के वर्ग के लोगों के सामने पेश आई मुश्किलें निर्देशक अनुभव सिन्हा की नई फिल्म 'भीड़' का विषय हैं. इस बारे में उनसे और फिल्म की टीम से बातचीत.
केंद्र सरकार ने 2020 में कोविड-19 के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों का 18 महीनों का महंगाई भत्ता (डीए) रोक दिया था. इसकी बहाली के बाद से कर्मचारी संघ बकाया भुगतान की मांग कर रहे थे. अब सरकार ने स्पष्ट कहा है कि डीए रोककर बचाई गई राशि को महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियों में लगाया गया था. अब बकाया देने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में 2004 से 2014 के दशक को 'लॉस्ट डेकेड' कहा था. यह पद अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय में न के बराबर बढ़ोतरी को लेकर चलन में रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री ने भारत में जिस दशक के लिए इसे इस्तेमाल किया, उससे जुड़े आंकड़े इस अर्थ के विपरीत तस्वीर दिखाते हैं.
विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि नीति आयोग खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के दायरे के विस्तार का प्रबल विरोधी है. इसने बार-बार ग़रीबों को सब्सिडी वाला राशन देने वाली सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के आकार को घटाने और उसमें बड़े बदलाव लाने की कोशिश की है.
आरोग्य सेतु ऐप साल 2020 में अपनी लॉन्चिंग के साथ सवालों के घेरे में था. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि सरकार इस ऐप के ज़रिये नागरिकों की काफ़ी निजी जानकारी इकट्ठा करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. केंद्र सरकार ने इन चिंताओं को ख़ारिज कर दिया था.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में छह राज्यों के 14 ज़िलों में एक अध्ययन किया गया, जिसमें देश भर के 34 शोध संस्थानों के 88 वैज्ञानिक शामिल थे. इसमें पाया गया कि भारतीय आबादी के बड़े हिस्से में कोविड-19 के लक्षण नहीं थे और 26-35 आयु वर्ग में ऐसे बिना लक्षण वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक थी.