मैरिटल रेप को अपराध बनाने के विरोध में केंद्र सरकार, कहा- क़ानूनी से अधिक सामाजिक मुद्दा

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवाह में पति-पत्नी के बीच उचित यौन संबंध बनाने की निरंतर अपेक्षा होती है. इसलिए, विवाह को अन्य स्थितियों से अलग माना जाना चाहिए. इसे अपराध घोषित करना बहुत कठोर क़दम है.

देश में जब भी हिंदुत्ववादी ताक़तवर हुए हैं, महिलाओं के हक़ों की लड़ाई कमज़ोर हुई है

हिंदुत्व के अनुकूलित सुधारक बाल गंगाधर तिलक वर्ण व जाति व्यवस्था को राष्ट्र निर्माण का आधार बताकर उसका बचाव तो किया ही करते थे, वैवाहिक व दांपत्य संबंधों में बालिग या नाबालिग पत्नियों के पूरी तरह अपने पतियों के अधीन रहने के हिमायती भी थे. वे महिलाओं की आधुनिक शिक्षा के विरोधी भी थे.

सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा, जो किसी पति को बालिग पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाने की सूरत में दोषारोपण से सुरक्षा प्रदान करता है.

मैरिटल रेप: हाईकोर्ट के विभाजित निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का रुख़ पूछा

इस साल मई महीने में दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ के एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा था कि यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है. इस निर्णय को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है.

मैरिटल रेप पर हाईकोर्ट के खंडित आदेश के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत में याचिका दायर

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फ़ैसला देने के बाद एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. 11 मई को हाईकोर्ट की पीठ के एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा था कि यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है.

मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने के मामले में हाईकोर्ट ने खंडित निर्णय दिया

दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फ़ैसला दिया, जहां एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय पर निराशा ज़ाहिर की है.

बलात्कार बलात्कार ही होता है, भले ही करने वाला पुरुष पति ही क्यों न हो: हाईकोर्ट

पत्नी द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप पर दायर चार्जशीट के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 375 के तहत मिले अपवाद का हवाला देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचे एक शख़्स को कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि क़ानून से मिली कोई भी छूट इतनी असीमित नहीं हो सकती कि यह अपराध करने का लाइसेंस बन जाए.

मैरिटल रेप: उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राय देने के लिए और समय देने से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट बलात्कार क़ानून के तहत पतियों को दी गई छूट को ख़त्म करने के अनुरोध वाली याचिकाएं सुन रहा है. सात फरवरी को इस संबंध में अपना रुख़ स्पष्ट करने के लिए केंद्र को दो हफ्ते का समय दिया गया था. अब और समय मांगे जाने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.

मैरिटल रेप: अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा- आईपीसी की धारा 375 में मिले अपवाद में ‘सहमति’ की शर्त निहित

दिल्ली हाईकोर्ट वर्तमान में मैरिटल रेप को अपराध क़रार देने के अनुरोध की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी की धारा 375 की संवैधानिकता को यह कहते हुए चुनौती दी है कि यह विवाहित महिलाओं के साथ उनके पतियों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के मामले में भेदभाव करती है.

केंद्र ने हाईकोर्ट द्वारा मैरिटल रेप के अपराधीकरण पर रुख़ स्पष्ट करने के लिए और समय मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने मैरिटल रेप को अपराध क़रार देने का अनुरोध किया गया है. सोमवार की सुनवाई में खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि केंद्र को ‘हां या नहीं’ में जवाब देना होगा, क्योंकि ऐसे मामलों में विचार-विमर्श कभी समाप्त नहीं होता है.

विवाहिता हो या नहीं, हर महिला को असहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को न कहने का हक़: कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट कई ग़ैर-सरकारी संगठनों की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने मैरिटल रेप को अपराध क़रार देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी की धारा 375 की संवैधानिकता को यह कहते हुए चुनौती दी है कि यह विवाहित महिलाओं के साथ उनके पतियों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के मामले में भेदभाव करती है.