जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की साज़िश रचने के आरोप में ग़ैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया था. फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीएए और एनआरसी के समर्थन और विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी, 2020 में हुए दंगों से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है,जिसमें मांग की गई है कि सीएए के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के बाद हुए दंगों में कथित रूप से घृणा भाषण देने के संबंध में इन नेताओं की जांच की जाए. अदालत ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अन्य को नए नोटिस जारी किए.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने इन शोधार्थियों से इस आधार पर अपना शोध पर्यवेक्षक बदलने को कहा कि उनका शोध पर्यवेक्षक तीन साल से भी कम समय में सेवानिवृत्त हो जाएगा. इन शोधकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि विश्वविद्यालय का यह फैसला अवैध, अनावश्यक और दुर्भावनापूर्ण है.
दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ को मार्च 2020 में तबलीग़ी जमात के एक आयोजन के बाद से बंद कर दिया गया है. दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड ने शब-ए-बारात और रमज़ान के दौरान इबादत के लिए मरकज़ के तीन तल खोलने की अनुमति मांगी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि शब-ए-बारात से एक दिन पहले 18 मार्च की दोपहर मरकज़ खोला जाएगा और इसे अगले दिन शाम को बंद कर दिया जाएगा.
वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें फ़ैज़ान के अलावा जमीन पर घायल पड़े कुछ युवकों को कथित तौर पर पुलिसकर्मियों द्वारा पीटते हुए उन्हें राष्ट्रगान व वंदे मातरम गाने को मजबूर करते देखा जा सकता था. इस घटना के बाद फ़ैज़ान की मौत हो गई थी.
मार्च 2020 में दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ में तबलीगी जमात के कार्यक्रम के आयोजन के बाद से उसे बंद कर दिया गया है. दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड शब-ए-बारात और रमज़ान के दौरान इबादत के लिए मरकज़ के तीन अन्य तल खोलने की अनुमति मांगी है.
जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने 24 जनवरी के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह के तहत आरोप तय किए गए थे. आरोप है कि उन्होंने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.
फिलिस्तीन के रामल्ला में मृत मिले भारतीय राजनयिक मुकुल आर्य के शव का फ़िर से पोस्टमॉर्टम करने का आग्रह करने वाली उनकी मां की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है. याचिका में कहा गया है कि राजनयिक की मौत अप्राकृतिक है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक प्राथमिकी को शिकायतकर्ता और आरोपियों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक इस क़ानून को इसकी वास्तविक भावना में लागू नहीं किया जाता तब तक जाति आधारित भेदभाव से रहित समाज का सपना दूर की कौड़ी बना रहेगा.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़ीं अनेक याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. जिन नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आरआई दर्ज करने की मांग की गई है उनमें भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, आप नेता मनीष सिसोदिया, विधायक अमानतुल्ला खान और अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं.
नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी. दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बताया कि 26 जनवरी 2021 को हुई हिंसा से जुड़े मामलों को वापस लेने का औपचारिक अनुरोध उपराज्यपाल को भेजा गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट शेख़ मुज़तबा फ़ारूक़ एक लंबित याचिका में एक वकील की ओर से दायर हस्तक्षेप आवदेन पर सुनवाई कर रही थी. फ़ारूक़ ने कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के लिए भाजपा नेताओं- अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच की मांग की है. हस्तक्षेप आवदेन में वकील ने कहा था कि यह जनहित याचिका नहीं, बल्कि प्रचार पाने का वाद है.
दिल्ली हाईकोर्ट बलात्कार क़ानून के तहत पतियों को दी गई छूट को ख़त्म करने के अनुरोध वाली याचिकाएं सुन रहा है. सात फरवरी को इस संबंध में अपना रुख़ स्पष्ट करने के लिए केंद्र को दो हफ्ते का समय दिया गया था. अब और समय मांगे जाने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के व उनके दो सहयोगियों ने लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी के आरोप लगाए हैं. इसके ख़िलाफ़ संपत की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन इतिहासकारों को किसी भी प्लेटफॉर्म पर इस बारे में कोई सामग्री प्रकाशित करने से अस्थायी तौर पर रोक दिया है. कोर्ट ने इस बारे में इतिहासकारों द्वारा लंदन की रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को लिखे पत्र को भी साझा करने पर पाबंदी लगाई है.
62 वर्षीय मोहम्मद क़मर को अगस्त, 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ़्तार किया गया था. उन्हें वीज़ा अवधि से अधिक समय तक देश में रहने के लिए दोषी ठहराया था. छह फरवरी, 2015 को सज़ा पूरी करने के बाद वह साल 2015 में दिल्ली स्थित डिटेंशन सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेजे गए थे. हालांकि, पाकिस्तान ने उसके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया और वह अभी भी डिटेंशन सेंटर में ही हैं.