सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया कि ग़रीब पृष्ठिभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है. मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को या तो जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है या फिर इस अवधि के दौरान उन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार उमर ख़ालिद ने अपनी बहन की शादी के मद्देनज़र दो सप्ताह की अंतरिम ज़मानत के लिए दिल्ली की एक अदालत में अर्ज़ी दायर की है. पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि उनकी रिहाई से ‘समाज में अशांति’ पैदा हो सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े विवाद पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने साल 1978 के बीए के सभी डीयू रिकॉर्ड की पड़ताल का निर्देश दिया था, जिसके ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था. इसके बाद कोर्ट ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते अक्टूबर में डीडीए को मुंडका इलाके में सीवर सफाई के दौरान जान गंवाने वाले दो लोगों के परिवार को 10-10 लाख रुपये मुआवज़ा देने को कहा था. ऐसा न किए जाने पर कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि हम ऐसे लोगों से यह बर्ताव कर रहे हैं जो हमारे लिए काम कर रहे हैं ताकि हमारी ज़िंदगी आसान हो.
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ‘डरा-धमकाकर, प्रलोभन देकर और पैसे का लालच देकर’ होने वाले धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े क़दम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
भारत में 'रूह अफज़ा' शर्बत का निर्माण हमदर्द नेशनल फाउंडेशन और हमदर्द लैबोरेटरीज़ इंडिया द्वारा किया जाता है, लेकिन पिछले दिनों कंपनी ने पाया कि ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेज़ॉन पर पाकिस्तान में बने 'रूह अफज़ा' की बिक्री हो रही है, जिसके बाद उन्होंने अदालत का रुख़ किया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अक्टूबर में दिल्ली पुलिस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज उन मामलों की संख्या बताने को कहा था, जिनमें उसने 90 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए थे.
2012 में दिल्ली के छावला इलाके में तीन लोगों ने एक 19 वर्षीय युवती को अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया और उनकी हत्या कर दी थी. 2014 में इस मामले को निचली अदालत ने ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ क़रार देते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसे बरक़रार रखा था.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई थी कि राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के समान सम्मानित दर्जा दिया जाए. कहा गया है कि राष्ट्र गीत के लिए किसी भी दिशा-निर्देश का अभाव होने से यह ‘असभ्य तरीके’ से गाया जा रहा है और फिल्मों तथा पार्टियों में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है.
यह मामला दो अंतरधार्मिक विदेशी नागरिकों से जुड़ा है, जिन्होंने अपने इच्छित विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करवाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया है.
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता मीरा कौर पटेल की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम की धारा 4 (3) (i) में 35 वर्ष की आयु का प्रतिबंध महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर पाबंदी है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रेम विवाह से संबंधित एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि क़ानून के अनुसार विवाह में निजी पसंद की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का अंतर्निहित अंग है. आस्था के सवालों का भी जीवनसाथी चयन की स्वतंत्रता पर कोई असर नहीं पड़ता और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मूल तत्व है.
याचिकाकर्ता मंज़र इमाम को 1 अक्टूबर 2013 को इंडियन मुजाहिदीन से संबंध रखने के आरोप में एनआईए ने गिरफ़्तार कर लिया था, वे तब से जेल में हैं और अब तक उन पर आरोप भी तय नहीं हुए हैं.
भारत में अदालतों में न्याय अब अपवाद बनता जा रहा है. ख़ासकर जब न्याय मांगने वाले मुसलमान हों या मोदी सरकार के आलोचक या विरोधी हों.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत से इनकार करते हुए कहा कि उमर ख़ालिद मामले के अन्य सह-आरोपियों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके ख़िलाफ़ आरोप प्रथमदृष्टया सही हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा सितंबर 2020 में गिरफ़्तार ख़ालिद ने ज़मानत का अनुरोध करते हुए अपनी अर्ज़ी में कहा था कि उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा में उनकी कोई आपराधिक भूमिका नहीं थी.