संसद की सुरक्षा में चूक या भारत की भीषण बदहाली: बड़ा सवाल क्या है?

वीडियो: उन नौजवानों की ज़िंदगी और परिवारवालों की बात, जिन्होंने बीते 13 दिसंबर को संसद में घुसकर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध जताया. द वायर के अजय कुमार बता रहे हैं कि इस पूरे मामले को केवल संसद की सुरक्षा में चूक तक सीमित करके नहीं देखना चाहिए, बल्कि नौजवानों कहानी बताती है कि यह मामला भारत की भीषण बदहाली से जुड़ा हुआ है.

संसद सुरक्षा चूक: पुलिस का दावा- आरोपी फेसबुक पर मिले, जनवरी में योजना बनाकर संसद की रेकी की थी

बीते बुधवार को दो व्यक्ति लोकसभा की दर्शक दीर्घा से हॉल में कूद गए और धुएं के कनस्तर खोल दिए थे. इस सुरक्षा चूक के बाद इन लोगों के अलावा तीन अन्य को गिरफ़्तार किया गया है, जबकि एक व्यक्ति की तलाश जारी है. सूत्रों के अनुसार, आरोपी मणिपुर हिंसा, किसान आंदोलन, महंगाई और बेरोज़गारी के संबंध में एक संदेश देना चाहते थे.

दिल्ली: भारतपे के सह-संस्थापक अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी को विदेश जाने से रोका गया

संयुक्त पुलिस आयुक्त (ईओडब्ल्यू) ने कहा कि अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी को विदेश यात्रा से रोकने के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था. उन्हें अगले सप्ताह से दिल्ली के ईओडब्ल्यू कार्यालय में जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था. वहीं, ग्रोवर ने दावा किया कि उन्हें पूछताछ के लिए शुक्रवार सुबह तक कोई संचार या समन नहीं मिला था.

दिल्ली दंगा: सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो की मांग लेकर हाईकोर्ट पहुंचीं देवांगना कलीता

फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की आरोपी छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलीता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल कर कहा है कि उन्हें मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वीडियो और एक ग्रुप से संबंधित वॉट्सऐप चैट की ज़रूरत है. उन्होंने अदालत से इन्हें उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है.

डिजिटल उपकरणों की ज़ब्ती हो या स्पायवेयर से सुरक्षा, सार्थक क़ानूनी प्रक्रिया वक़्त की ज़रूरत है

किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से असल में क्या चाहिए और इसे मांगने का कारण स्पष्ट रूप से लिखित रूप में बताया जाना चाहिए. हालांकि, भारत में पुलिस या एजेंसियों द्वारा ऐसी किसी प्रणाली का पालन नहीं किया जाता है.

पत्रकारों के डिजिटल उपकरण ज़ब्त करने के लिए उचित दिशानिर्देशों की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल द्वारा क़ानूनी एजेंसियों द्वारा 'अनुचित दखल' के ख़िलाफ़ सुरक्षा उपाय देने और डिजिटल उपकरणों की तलाशी और ज़ब्ती के लिए व्यापक दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका सुनते हुए जस्टिस एसके कौल ने कहा कि यह गंभीर मामला है. मीडिया पेशेवरों के स्रोत और अन्य चीज़ें होंगी. कुछ दिशानिर्देश होने चाहिए.

न्यूज़क्लिक पर छापेमारी में 250 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ज़ब्त किए जाने से पत्रकारों का कामकाज ठप

बीते ​3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यूएपीए के तहत दर्ज एक केस के सिलसिले में समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक और इसके कर्मचारियों के यहां छापेमारी की थी. इस दौरान 90 से अधिक पत्रकारों के क़रीब 250 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ज़ब्त किए गए थे. लगभग एक महीने बाद भी इन्हें वापस नहीं करने से पत्रकारों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने त्योहारों को देखते हुए मुस्लिम महापंचायत को अनुमति देने से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में ‘अखिल भारतीय मुस्लिम महापंचायत’ आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि इस कार्यक्रम से उस समय होने वाले कई हिंदू त्योहारों के दौरान सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है.

पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लंबे समय तक ज़ब्त रखना प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात: अदालत

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने निचली अदालत के आदेश को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली पुलिस को द वायर के कर्मचारियों से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने के लिए कहा गया था. भाजपा के एक नेता द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद अक्टूबर 2022 में पुलिस ने इन उपकरणों को ज़ब्त किया था.

पत्रकार संगठनों ने मीडिया की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की

विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.

वैश्विक निकाय ने ‘न्यूज़क्लिक’ पर कार्रवाई बंद करने और इसके संपादक की रिहाई का आह्वान किया

वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ‘सिविकस’ ने कहा है कि यह भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण हमला है और समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक की आलोचनात्मक और स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई है. यूएपीए के तहत इस वेबसाइट पर आरोप लगाना, स्वतंत्र मीडिया, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को चुप कराने और परेशान करने का एक बेशर्म प्रयास है.

न्यूज़क्लिक के दफ़्तर और गिरफ़्तार संपादक के घर की तलाशी के लिए पहुंची सीबीआई

न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती फिलहाल दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

न्यूज़क्लिक पर हमला: क्या कहता है ‘राजदंड’ का यह निर्मम प्रहार?

देखते ही देखते संविधान व क़ानून दोनों का अनुपालन कराने की शक्तियां ऐसी राजनीति के हाथ में चली गई हैं, जिसका ख़ुद लोकतंत्र में विश्वास बहुत संदिग्ध है और जो निर्मम और अन्यायी होकर उसे अपने कुटिल मंसूबों और सुविधाओं के लिए इस्तेमाल कर रही है.

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