जामिया मिलिया इस्लामिया छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष शिफ़ा उर रहमान को दिल्ली दंगों के सिलसिले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया है. रहमान ने अदालत के समक्ष याचिका दायर कर कहा है कि जेल प्रशासन उन्हें उनके वकील से मिलने नहीं दे रहा है.
आईपीएस अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर दंगे से जुड़े सभी मामले की दोबारा निष्पक्षता से जांच कराने का अनुरोध किया है. पत्र में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे लोगों को इसमें फंसाना दुखद है. बिना किसी ठोस साक्ष्य के इन पर आरोप लगाना निष्पक्ष जांच के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है.
गिरफ़्तारी पर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस अपनी दुर्भावनापूर्ण जांच के ज़रिये उन्हें फंसा रही है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर द्वेषपूर्ण सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए फेसबुक द्वारा कथित तौर पर कोई कदम न उठाए जाने की शिकायतों के बाद दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को 15 सितंबर को समिति के सामने पेश होने को कहा है.
दिल्ली पुलिस ने तीन आरोपी छात्राओं के बयानों के सहारे दावा किया है कि योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी, जयती घोष, प्रोफेसर अपूर्वानंद जैसे लोगों ने सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को ‘किसी भी हद तक जाने को कहा था’ और सीएए-एनआरसी को मुस्लिम विरोधी बताकर समुदाय में नाराज़गी बढ़ाई. हालांकि पुलिस का कहना है कि इन लोगों के नाम बतौर आरोपी शामिल नहीं हैं.
जेएनयू के पूर्व छात्र कार्यकर्ता उमर ख़ालिद ने दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारी उन्हें फ़ंसाने के लिए उनके परिचितों को डरा-धमकाकर फ़र्ज़ी बयान देने को मजबूर कर रहे हैं.
पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलीता को दिल्ली दंगे संबंधी मामले में गिरफ़्तार किया गया था. ज़मानत मिलने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन पर यूएपीए के तहत भी एक मामला दर्ज है.
शांति और सद्भाव पर दिल्ली विधानसभा की समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा है कि दिल्ली दंगों की जांच में फेसबुक को सह-अभियुक्त की तरह मानना चाहिए और उसकी जांच होनी चाहिए. समिति ने हिंसा फैलाने में वॉट्सएप की भूमिका की जांच करने का भी ऐलान किया है.
दिल्ली के चांदबाग इलाके की रहने वाली दंगा पीड़ित महिला का आरोप है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई थी, इसलिए पुलिस अब बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है.
दिल्ली हिंसा संबंधी मामले में गिरफ़्तार हुए जामिया के एक छात्र ने आरोप लगाया है कि पुलिस संवेदनशील जानकारी मीडिया को लीक कर रही है. उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के साथ कुछ मीडिया संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
चुनाव आयोग ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि वे अन्य सरकारी विभागों के साथ मतदाता सूची और फोटो परिचय पत्र साझा करने के साल 2008 के अपने दिशा-निर्देशों से किसी भी तरह नहीं भटका है.
फरवरी महीने में हुए दंगे और उसके बाद हुई 'जांच' का मक़सद सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराना है, जिससे उनके आंदोलन को बदनाम किया जा सके. साथ ही भविष्य में ऐसा कोई प्रदर्शन करने के बारे में आम नागरिकों में डर बैठाया जा सके.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पूछताछ के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली पुलिस द्वारा लीक जानकारी के आधार पर उन्हें 'दंगों का मास्टरमाइंड' कहा गया. प्रामाणिक तथ्यों के बिना आ रही ऐसी ख़बरों का मक़सद केवल उनकी छवि धूमिल कर उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाना लगता है.
दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के पक्षपाती रवैये को लेकर लगातार उंगलियां उठीं. इस धारणा को इसलिए भी बल मिला क्योंकि पुलिस ने गिरफ़्तार किए गए लोगों के बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया.
बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल होने की बात स्वीकार ली है. हुसैन के वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.