उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई

जब से नई आर्थिक नीतियां आईं, चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलेआम जनविरोधी नीतियां बनाई जाने लगीं, तभी से देश राष्ट्र में तब्दील किया गया. इन नीतियों से भुखमरी, कुपोषण और ग़रीबी का चेहरा और विद्रूप होने लगा तो देश के सामने राष्ट्र को खड़ा कर दिया गया. खेती, खेत, बारिश और तापमान के बजाय मंदिर और मस्जिद ज़्यादा बड़े मुद्दे बना दिए गए.

108 अर्थशास्त्रियों ने सरकारी आंकड़ों में राजनीतिक दख़ल पर चिंता जताई

देश-विदेश की शीर्ष वित्तीय संस्थाओं से जुड़े अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वित्तीय आंकड़े नीतियां बनाने और जनता की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए ज़रूरी है कि इन आंकड़ों को इकठ्ठा और प्रसारित करने वाली संस्थाएं राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार न हों और इनकी विश्वसनीयता बनी रहे.

विपक्ष को मोदी के उग्र एजेंडा के जाल से बचना होगा

भाजपा ने आम चुनाव में राष्ट्रवाद और पाकिस्तान से ख़तरे को मुद्दा बनाने का मंच सजा दिया है. वो चाहती है कि विपक्ष उनके उग्रता के जाल में फंसे, क्योंकि विपक्षी दल उसकी उग्रता को मात नहीं दे सकते. विपक्ष को यह समझना होगा कि जनता में रोजगार, कृषि संकट, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर काफी बेचैनी है और वे इनका हल चाहते हैं.

क्या मोदी सरकार का आख़िरी बजट वास्तव में भारत की तरक्की की कहानी बयां करता है?

3000 करोड़ रुपये की मूर्ति, 1 लाख करोड़ रुपये की बुलेट ट्रेन उस देश की सबसे पहली ज़रूरतें हैं, जहां छह करोड़ बच्चे कुपोषित हैं, शिक्षकों के दस लाख पद ख़ाली हैं, सवा तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं और 20 करोड़ लोग रोज़ भूखे सोते हैं.

वित्तीय संकट में फंसे ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा, पत्र लिखकर कहा- सबका क़र्ज़ चुकाऊंगा

एस्सेल और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने वित्तीय संकट के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर आक्रामक तरीके से दांव लगाने और वीडियोकॉन का डी2एच कारोबार ख़रीदने के निर्णय को ज़िम्मेदार बताया.

ज़ी न्यूज़ के संस्थापक और मालिक सुभाष चंद्रा ने क्यों सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है

सुभाष चंद्रा के एक पत्र से ज़ाहिर है कि उनकी कंपनी ​पर वित्तीय संकट मंडरा रहा है. सरकार के इतने क़रीब होने के बाद भी सुभाष चंद्रा लोन नहीं दे पा रहे हैं तो समझ सकते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था कितनी नाज़ुक हालत में है. इनके चैनलों पर मोदी के बिज़नेस मंत्रों की कितनी तारीफ़ें हुई हैं और उन्हीं तारीफ़ों के बीच उनका बिज़नेस लड़खड़ा गया.

भारत के 9 अमीरों के पास है 50 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति: रिपोर्ट

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में देश के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 39 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पचास प्रतिशत ग़रीब आबादी की संपत्ति में महज़ 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

17 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा औद्योगिक विकास

विनिर्माण क्षेत्र की धीमी रफ़्तार के कारण औद्योगिक विकास नवंबर महीने में सिर्फ़ 0.5 प्रतिशत दर्ज की गई. इससे पहले जून 2017 में यह 0.3 प्रतिशत पर पहुंच गया था.

सरकार ने छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी छूट की सीमा दोगुनी की

जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों को जीएसटी से राहत देते हुए छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये वार्षिक कर दिया है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है.

जेटली को कैसे समझ आ गया एक जीएसटी रेट, क्या आप समझ पाए?

जीएसटी रेट एक टैक्स से शुरू होता है और बाद में कई टैक्स आ जाते हैं या बढ़ने लगते हैं. या फिर कई टैक्स से शुरू होकर एक टैक्स की ओर जाता है. इसका मतलब है कि एक टैक्स को लेकर कोई ठोस समझ नहीं है. शायद जनता का मूड देखकर टैक्स के प्रति समझदारी आती है.

किसान क़र्ज़ माफ़ी के ख़िलाफ़ शोर कॉर्पोरेट जगत के इशारे पर हो रहा है: कृषि विशेषज्ञ

कृषि मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि किसान क़र्ज़ माफ़ी के हकदार हैं. इससे निश्चित तौर पर किसानों को राहत मिली है लेकिन यह थोड़ी ही है, किसानों के लिए देश में बहुत कुछ और करने की आवश्यकता है.

किसानों की क़र्ज़ माफ़ी पर हंगामा, बैंकों को एक लाख करोड़ देने पर चुप्पी

सरकार सरकारी बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये क्यों डाल रही है? किसान का लोन माफ़ करने पर कहा जाता है कि फिर कोई लोन नहीं चुकाएगा. यही बात उद्योगपतियों के लिए क्यों नहीं कही जाती?

लोगों के पास बचे 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट नहीं लिए जाएंगे: केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने राज्यसभा में यह भी स्पष्ट किया है कि देश भर में सार्वजनिक बैंकों के 50 फीसदी एटीएम बंद करने की कोई योजना नहीं है. साथ ही नोटबंदी के बाद छापे गए 2000 रुपये और 500 रुपये के नए नोटों की ख़राब गुणवत्ता को सरकार ने ख़ारिज किया.

मोदी सरकार ने माना, नोटबंदी के दौरान चार लोगों की हुई थी मौत

नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ने दिया है. बैंक ने बताया है कि इस दौरान एक ग्राहक और बैंक के तीन कर्मचारियों की मौत हुई थी.

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