अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि क़ानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही इस किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिनसे धार्मिक कट्टरता को बल मिलता है. एफ़आईआर किताब की लेखक डॉ. फ़रहत ख़ान, प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन, प्रिंसिपल डॉ. इनामुर्रहमान और संस्थान के प्रोफेसर मिर्ज़ा मोजिज बेग के ख़िलाफ़ दर्ज की गई है.
मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय का है. एबीवीपी ने हंगामा करते हुए दावा किया था कि महाविद्यालय में कुछ शिक्षक विद्यार्थियों के बीच कट्टरता, लव जिहाद और देश के संबंध में नकारात्मक बातों को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके बाद कॉलेज द्वारा अस्थायी तौर पर हटाए गए छह अध्यापकों में से चार मुस्लिम हैं.
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 80 से 85 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.
केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार क़ानून का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वह इस क़ानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान कर रही है, इसलिए स्कॉलरशिप दिए जाने की ज़रूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया कि ग़रीब पृष्ठिभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है. मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को या तो जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है या फिर इस अवधि के दौरान उन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है.
बीते अक्टूबर महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि इसने देश की दवा नियामक एजेंसी की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई है.
उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों व स्कूली बच्चों को लेकर विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए हैं. छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इन बीमारियों से छात्रों को बचाया जा सके.
कर्नाटक के स्कूल शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने घोषणा की है कि ‘विवेका’ योजना के तहत बनाई जा रहीं नई कक्षाएं एक जैसी होंगी और इन्हें भगवा रंग में रंगा जाएगा. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि भगवा रंग का सुझाव वास्तुकारों ने दिया है और यह किसी विचारधारा के अनुरूप नहीं है.
1950-60 के दशक में दिल्ली ने अपने जैसा एक नेहरू बना लिया. यह 1920-30 के दशक के नेहरू से भिन्न था. समय के साथ वो नेहरू जनता की नज़र से ओझल होते गए जिसने अवध के किसान आंदोलन में संघर्ष किया था.
सुप्रीम कोर्ट उन छात्रों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, जो यूक्रेन के मेडिकल विश्वविद्यालयों में पहले से चौथे वर्ष के छात्र हैं और वहां युद्ध शुरू होने बाद भारत के मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं.
उत्तराखंड के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति रद्द करने के हाईकोर्ट के निर्णय को बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक वीसी के पास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का शिक्षण अनुभव होना चाहिए और उनका नाम एक सर्च कम सलेक्शन कमेटी द्वारा अनुशंसित किया जाना चाहिए.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2022-23 से प्रस्तावित फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई बीते दो हफ्तों से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन ने ऐलान किया है कि वे 16 से 18 नवंबर के बीच नई दिल्ली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यालय के सामने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में अपनी मांगों के समाधान को लेकर प्रदर्शन करेंगे.
वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ‘गो-बारस’ के मौक़े पर पूजा के आयोजन में कर्मचारियों को सपरिवार उपस्थित रहने को कहा गया. आए दिन ऐसे आयोजन कई विश्वविद्यालयों के कैलेंडर का हिस्सा बनते जा रहे हैं और ऐसा करते हुए विश्वविद्यालय अपनी अवधारणा, सिद्धांत और कर्तव्य से बहुत दूर हो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं सुन रहा था जिसमें कहा गया था कि टैक्स छूट के लिए किसी संस्था की गतिविधियों की जांच की ज़रूरत होगी. शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि कोई चैरिटेबल संस्थान को आयकर राहत तब मिलेगी जब वह किसी लाभकारी गतिविधि में संलग्न न हो.