‘चुनावी बॉन्ड फैसला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार और लेन-देन की कलई खुलने की पहली सीढ़ी है’

भारतीय स्टेट बैंक की चुनावी बॉन्ड के विवरण जारी करने के लिए मांगे गए समय विस्तार की याचिका ख़ारिज किए जाने का स्वागत करते हुए मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज़ ने कहा है कि यह फैसला भारतीय नागरिकों के यह 'जानने के अधिकार' को बरक़रार रखता है कि किस पार्टी को कौन, कितना पैसा दे रहा है.

लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा चौंकाने वाला, सरकार बैठाएगी अपने लोग: विपक्ष

लोकसभा चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल द्वारा निर्वाचन आयोग से इस्तीफ़ा देने पर विपक्षी दलों ने कहा है कि नए क़ानून के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से लगभग 1300 करोड़ रुपये मिले, जो कांग्रेस से 7 गुना अधिक है

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई भाजपा की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ दल की कुल आय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 2,361 करोड़ रुपये हो गई, जो 2021-22 में 1,917 करोड़ रुपये थी. वहीं, कांग्रेस की कुल आय 2021-22 के 541.27 करोड़ रुपये से घटकर 2022-23 में 452.37 करोड़ रुपये रह गईं.

एमपी: भाजपा की चौथी सूची में 24 मंत्रियों समेत 57 विधायकों के नाम, सिंधिया खेमे के 4 मंत्री अधर में

मध्य प्रदेश में चुनावी तारीखों का ऐलान होते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी नाम है. अब तक पार्टी चार सूचियां जारी करके 136 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का चेहरा साफ कर चुकी है. कांग्रेस की ओर से अब तक किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, 3 दिसंबर को होगी मतगणना

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले चुनावों की तारीख़ों का ऐलान करते हुए बताया है कि मतदान 7 नवंबर से शुरू होगा. छत्तीसगढ़ में चुनाव दो चरणों - 7 और 17 नवंबर - में संपन्न होंगे, जबकि मिज़ोरम में 7 नवंबर, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 23 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होना है.

राहुल गांधी जैसे ही एक मामले में चुनाव आयोग-मोदी सरकार ने अपने सहयोगी को अयोग्यता से बचाया था

सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले को 2016 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था. 2018 में वे जेल से बाहर आए. इसके बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था, पर केंद्र ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को निरस्त कर दिया, जिससे भाजपा के सहयोगी तमांग मुख्यमंत्री बन सके.

चुनाव आयोग सत्ता का ग़ुलाम, शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चिह्न देना अस्वीकार्य: उद्धव ठाकरे

शिवसेना के दो फाड़ के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी चिह्न देने के फैसले की आलोचना करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि आयोग का फैसला हमें स्वीकार नहीं है. वे शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चिह्न दे सकते हैं, लेकिन पार्टी नहीं.

रिमोट ईवीएम की ज़रूरत पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने से चुनाव आयोग ने इसका प्रदर्शन टाला

पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) लाने की बात कही थी, ताकि प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. इस संबंध में सोमवार को आयोग 8 राष्ट्रीय और 57 क्षेत्रीय दलों को इसका तकनीकी प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था. इनमें से अधिकांश दलों का कहना था कि आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है.

विभिन्न क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदे में चुनावी बॉन्ड की हिस्सेदारी 10 से सौ फीसदी रही

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के समक्ष 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण देना ज़रूरी है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते.

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को दिया 464.8 करोड़ रुपये चंदा, 72% भाजपा को मिला

इलेक्टोरल ट्रस्टों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई योगदान रिपोर्ट बताती हैं कि सबसे अमीर चुनावी ट्रस्ट प्रूडेंट ने 26 किश्तों में भाजपा को कुल 336.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जबकि कांग्रेस को 16.5 करोड़ रुपये दिए, जो क्षेत्रीय दलों को दी गई राशि से भी कम है.

हमारे पास हेट स्पीच देने वाले दलों, उम्मीदवारों पर कार्रवाई करने की शक्ति नहीं: निर्वाचन आयोग

निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर करते हुए कहा है कि अगर कोई दल या इसका सदस्य नफ़रती भाषण (हेट स्पीच) देने में संलिप्त पाया जाता है तो आयोग के पास उस राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने या उसके सदस्य को अयोग्य ठहराने संबंधी क़ानूनी शक्ति नहीं है.

राजनीतिक दलों और सरकारों को मुफ़्त उपहार बांटने से रोकने की कोई शक्ति नहीं: निर्वाचन आयोग

सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपने एक हलफनामे में भारतीय निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह उन राजकीय नीतियों और फैसलों का नियमन नहीं कर सकता, जो किसी विजेता पार्टी द्वारा सरकार बनाए जाने पर लिए जाते हैं.