अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित 11,000 मेगावाट अपर सियांग जलविद्युत परियोजना के लिए सर्वेक्षण शुरू करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की तैयारी हो रही है. वहीं, नागरिक समूहों ने प्रस्तावित बांध का विरोध करते हुए कहा है कि यह भारत द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है.
चीन के बढ़ता उत्सर्जन, वैश्विक व्यापार में प्रभुत्व और जलवायु वित्त में योगदान से बचने की नीति ने जलवायु विमर्श को कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है. पहले विकसित देश अमीर देशों के अन्यायपूर्ण दृष्टिकोण का सामना कर रहे थे, अब चीन का रुख़ भी इसमें शामिल हो गया है.
शीर्ष अदालत साल 2013 से गंगा पर नई जलविद्युत परियोजनाएं शुरू करने के सवाल पर विचार कर रही है. जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति कह रही है कि प्रोजेक्ट से होने वाला लाभ संभावित नुक़सान से ज़्यादा है. पर्यावरण तथा वन मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय इसके खिलाफ हैं.
वीडियो: इतिहासकार रामचंद्र गुहा की नई किताब 'स्पीकिंग विद नेचर' भारतीय पर्यावरणवाद के आरंभिक इतिहास को दर्ज करती है. द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज ने इस किताब को लेकर उनसे बातचीत की.
उत्तरकाशी के निवासियों ने चारधाम सड़क परियोजना के तहत गंगोत्री-धरासू मार्ग के चौड़ीकरण को तैयार सीमा सड़क संगठन पर ग़लत जानकारी के आधार पर वन मंज़ूरी लेने के का आरोप लगाया है और पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर दो वन मंज़ूरी प्रस्तावों को तत्काल रद्द करने की मांग की है.
गंगोत्री-धरासू मार्ग भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन (BESZ) में आता है. लेकिन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का कहना है कि पूरे चारधाम परियोजना के लिए पहले ही पर्यावरण प्रभाव आकलन किया जा चुका है, इसलिए पर्यावरण मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है.
केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि विकास गतिविधियों के कारण पिछले 10 वर्षों में देश में लगभग 1,734 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र नष्ट हुआ है. 2014 और 2024 के दौरान ग़ैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का सबसे अधिक इस्तेमाल मध्य प्रदेश में हुआ है.
असम के काज़ीरंगा में प्रस्तावित पांच सितारा होटल योजना का विरोध कर रहे दो स्थानीय कार्यकर्ताओं को बुधवार को कथित तौर पर भीड़ ने घेर लिया और मारपीट की. इस घटना से दो दिन पहले ही एनजीटी ने प्रस्तावित निर्माण के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया था.
गिद्ध बहुत कुशल सफाईकर्मी के रूप में पर्यावरण स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किसान लंबे समय से पशुओं के सड़ते शवों का निपटारा करने के लिए उन पर निर्भर रहे हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को जल्द ही लागू करने की बात कहते हुए कहा कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं ला रहे हैं, केवल उनकी सुरक्षा के बारे में चिंतित हैं.
हैलाकांडी ज़िले की बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता पर सवाल उठा है. आरोप है कि निर्माण की अनुमति देने के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक पक्षी के निवास स्थान को खोने से बचाए जाने की याचिका सुनते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से अप्रभावित स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह से साकार नहीं होता है.
वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव लाने की प्रक्रिया को न्यायसंगत परिवर्तन यानी ‘जस्ट ट्रांज़िशन’ का नाम दिया गया है. हालांकि, देश के दो राज्यों- छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ कोयला-निर्भर गांवों के लोगों की दशा यह दिखाती है कि ऐसे सभी परिवर्तन न्यायसंगत नहीं हो सकते.
शीर्ष अदालत ने 2011 के एक फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि वन संबंधी 1996 के उसके फैसले का पालन किया जाए और राज्य 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के तहत सभी वनों का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए ‘भू-संदर्भित जिला वन-मानचित्र’ तैयार करें. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा इन दोनों निर्णयों का पालन नहीं किया गया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने कॉरपोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत के जंगलों को उन्हें सौंपने और पर्यावरण को प्रदूषित करना आसान बनाना चाहते थे. इसलिए सबसे पहले उन्होंने 2017 में नियमों को बदल दिया, ताकि उन परियोजनाओं को वैध बनाया जा सके, जिन्होंने वन मंज़ूरी का उल्लंघन किया था.