मशहूर अभिनेत्री तबस्सुम का निधन

भारतीय फिल्म उद्योग में तबस्सुम ने अपने करिअर की शुरुआत एक बाल कलाकार के तौर पर की थी. उन्हें ‘बेबी तबस्सुम’ के रूप में जाना जाता था. फिल्मों के बाद उन्होंने ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ की एंकरिंग का काम संभाला, जो भारतीय टेलीविजन का पहला ‘टॉक शो’ था. उन्होंने 1972 से 1993 तक इस शो को किया और इस दौरान तमाम बड़े सितारों का साक्षात्कार लिया था.

प्रसिद्ध गायक केके का कोलकाता में निधन, पुलिस ने अप्राकृतिक मृत्यु का मामला दर्ज किया

केके के नाम से मशहूर 53 वर्षीय गायक कृष्णकुमार कुन्नथ का मंगलवार रात कोलकाता में निधन हो गया. बताया गया है कि अपने शो में क़रीब एक घंटे तक परफॉर्म करने के बाद जब वे वापस अपने होटल पहुंचे तो अस्वस्थ महसूस कर रहे थे. उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

गीतकार जावेद अख़्तर ने अभिनेत्री कंगना रनौत के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई

गीतकार जावेद अख़्तर ने अदालत से शिकायत में कहा है कि कंगना रनौत ने उनके ख़िलाफ़ निराधार टिप्पणयां की हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. उन्होंने अभिनेत्री के ख़िलाफ़ मानहानि संबंधी धाराओं में कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

भारतीय फिल्मों में कभी अल्पसंख्यकों को सही तरह से दिखाया ही नहीं गया: एमएस सथ्यू

साक्षात्कार: भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे का जो असर समाज पर पड़ा, उसकी पीड़ा सिनेमा के परदे पर भी नज़र आई. एमएस सथ्यू की 'गर्म हवा' विभाजन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. इस फिल्म समेत सथ्यू से उनके विभिन्न अनुभवों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया की बातचीत.

मशहूर कलाकार और हास्य अभिनेता जगदीप का निधन

जगदीप ने अपने 50 साल के करिअर में क़रीब 400 फिल्मों में काम किया. 1975 में आई फिल्म शोले के सूरमा भोपाली के उनके किरदार को प्रशंसक आज भी याद करते हैं. उनका डायलॉग ‘हमारा नाम सूरमा भोपाली एसे ही नहीं है’ काफी मशहूर है.

ज़ायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने के फैसले पर क्यों हुआ विवाद?

अभिनेत्री ज़ायरा वसीम के फिल्म इंडस्ट्री के छोड़ने को लेकर हो रहे विवाद पर चर्चा कर रहीं हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

क़ादिर ख़ान: जिन्हें लेकर अपनी-अपनी ग़लतफ़हमियां हैं

क़ादिर ख़ान हिंदी सिनेमा में उस पीढ़ी के आख़िरी लेखक थे, जिन्हें आम लोगों की भाषा और साहित्य की अहमियत का एहसास था. उनकी लिखी फिल्मों को देखते हुए दर्शकों को यह पता भी नहीं चलता था कि इस सहज संवाद में उन्होंने ग़ालिब जैसे शायर की मदद ली और स्क्रीनप्ले में यथार्थ के साथ शायरी वाली कल्पना का भी ख़याल रखा.

‘वीराना’, ‘बंद दरवाज़ा’, ‘तहख़ाना’ जैसी हॉरर फिल्मों के निर्देशक तुलसी रामसे का निधन

भारतीय सिनेमा में हॉरर श्रेणी की फिल्मों में सबसे लंबे समय तक रामसे ब्रदर्स का दबदबा था. तुलसी रामसे एफयू रामसे के पुत्र थे और सात भाइयों में एक थे. ज़ी टीवी पर प्रसारित हुए बहुचर्चित ‘ज़ी हॉरर शो’ का भी किया था निर्देशन.

समाज ने शादी नाम की संस्था में महिलाओं को कमज़ोर बनाया है: कल्कि कोचलिन

मार्गरिटा विथ अ स्ट्रॉ, वेटिंग और दैट गर्ल इन यलो बूट्स जैसी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा कि शादी के बाद लोग उन्हें ‘अनुराग की पत्नी’ कहते थे लेकिन अनुराग को कभी ‘कल्कि का पति’ नहीं कहा.

मेरी फिल्म ‘दासदेव’ पर शरत बाबू का कम, शेक्सपीयर का असर ज़्यादा है: सुधीर मिश्रा

साक्षात्कार: ‘ये वो मंज़िल तो नहीं’, ‘धारावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्में बनाने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक सुधीर मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.

बॉलीवुड के यौन उत्पीड़न के शिकार ज़रूर मुंह खोलें: अनुराग कश्यप

फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि बॉलीवुड में व्याप्त यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर कलाकारों की बातों का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक इसे झेलने वाले अपना मुंह बंद रखते हैं.

फिल्म इंडस्ट्री ने धमकी और ब्लैकमेलिंग के आगे झुकने की आदत बना ली है

आज ये फिल्मों और किताबों के बारे में है, कल ये पत्रकारिता या किसी और बारे में होगा. आज़ादी में हो रही इस दख़लअंदाज़ी के ख़िलाफ़ खड़ा होना अब ज़रूरी हो गया है.