बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' में यूके सरकार की गुजरात दंगों की एक अप्रकाशित जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट कहती है कि हिंसा योजनाबद्ध थी और गोधरा कांड ने बस एक बहाना दे दिया. अगर ऐसा न होता तो कोई और बहाना मिल जाता.
एक याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2019 में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी, जिससे गुजरात पुलिस ने इनकार कर दिया. तब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत उन नियमों को प्रकाशित करने के लिए कहा, जो पुलिस को प्रदर्शन या रैलियां करने की अनुमति देने या अस्वीकार करने का अधिकार देते हैं. हालांकि उनके आवेदन को गुजरात पुलिस द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था.
गुजरात विधानसभा ने दंड प्रक्रिया संहिता (गुजरात संशोधन) विधेयक मार्च 2022 में पारित किया था. इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई है. इसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा के उल्लंघन को आईपीसी की धारा 188 (एक लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत एक संज्ञेय अपराध बनाने का प्रावधान करता है.
गुजरात पुलिस ने क्राउड फंडिंग के कथित दुरुपयोग के मामले में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले को दिल्ली से गिरफ़्तार किया है. इससे पहले मोरबी में पुल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर हुए ख़र्च के संबंध में कथित तौर पर फ़र्ज़ी ख़बर प्रसारित करने के लिए छह दिसंबर को साइबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ़्तार किया था.
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ ब्रायन ने बताया कि मोरबी पुल हादसे पर साकेत गोखले के ट्वीट को लेकर झूठा मामला बनाकर अहमदाबाद साइबर सेल में केस दर्ज किया गया. इससे तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष को चुप नहीं कराया जा सकता. भाजपा राजनीतिक प्रतिशोध को एक अलग स्तर पर ले जा रही है.
गुजरात के वडोदरा शहर का मामला. पुलिस ने कहा कि झड़प के दौरान पथराव किया गया और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर एक पेट्रोल बम फेंका गया. इलाके में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और हालात नियंत्रण में हैं.
खेड़ा जिले के उंधेला गांव में बीते तीन अक्टूबर को एक मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध करते हुए मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कार्यक्रम स्थल पर कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सामने आए कुछ वीडियो दिखाते हैं कि पुलिस ने कुछ युवकों की सार्वजिनक रूप से पिटाई की थी.
मामला गुजरात के खेड़ा ज़िले का है. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध कर रहा था, जिसके चलते उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पथराव कर दिया. बाद में पुलिस ने तीन संदिग्ध हमलावरों को गांव के चौराहे पर खड़ा करके सबके सामने लाठियों से पीटा. वहीं, सूरत में गरबा पंडाल के आयोजकों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने ग़ैर-हिंदुओं को काम पर रखा था.
अहमदाबाद पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को जून में गिरफ़्तार करते हुए उनके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था.
गुजरात पुलिस ने संदीप पांडे समेत सात एक्टिविस्ट को 25 सितंबर की देर रात इसलिए हिरासत में ले लिया, क्योंकि वे अगले दिन गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कर का शिकार हुईं बिलक़ीस बानो के समर्थन में और उनके दोषियों की समयपूर्व रिहाई के विरोध में एक पदयात्रा निकालने वाले थे.
गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके, जो मौत की सज़ा के साथ दंडनीय हो.
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी को 2016 के एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले में सड़क अवरुद्ध करने को लेकर यह सज़ा सुनाई गई है. इससे पहले मई महीने में गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए मेवाणी को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि रविवार को पुलिस ने अहमदाबाद पार्टी कार्यालय पर अवैध रूप से छापा मारा जहां उन्होंने कार्यालय घुसकर बिना अदालती आदेश या वारंट के दो घंटे तक तलाशी ली. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में उनकी पार्टी मिल रहे अपार समर्थन से भाजपा बौखला गई है.
वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.
गुजरात के बनासकांठा ज़िले का मामला. हिंदुत्ववादी संगठनों ने मामले में धर्मांतरण और लव जिहाद का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने इससे इनकार किया है. इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि पत्नी, बेटे और बेटी के इस्लाम धर्म अपनाने और उनसे अलग रहने से अवसाद में रहने के कारण हरेश सोलंकी नामक व्यक्ति ने आत्महत्या करने की कोशिश की है.