न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने एंकर अमन चोपड़ा के दो कार्यक्रमों पर 75 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाते हुए इन एपिसोड्स को वेबसाइट समेत सभी ऑनलाइन मंचों से हटाने को कहा है. ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ को भी इनके एक-एक प्रसारण हटाने का निर्देश मिला है.
फरवरी 2022 में कर्नाटक सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. फैसले को बरक़रार रखते हुए मार्च 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने न्यूज़18 इंडिया पर 6 अप्रैल को प्रसारित हुए शो के ख़िलाफ़ दर्ज शिकायत पर सुनवाई करते हुए चैनल से इसे हटाने को कहा है. शो के एंकर अमन चोपड़ा को लेकर अथॉरिटी ने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर बहस कैसे कराएं, इसके लिए चैनल अपने एंकरों को ट्रेनिंग दे.
कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला आने के बाद राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश मान्य रहेगा. ऐसे में राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और नियम में किसी भी धार्मिक प्रतीकों के लिए कोई गुंजाइश नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर बैन लगाने के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं ख़ारिज कर दीं, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने ग़लत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज़्यादा कुछ और नहीं.
ईरान में अगर गश्ती दस्ते हिजाब जबरन पहना रहे हैं तो भारत में सरकारी गश्ती दस्ते जबरन हिजाब उतार रहे हैं. फ़र्क़ यह है कि ईरान में एक इस्लामी हुकूमत मुसलमानों को अपने हिसाब से पाबंद करना चाहती है और भारत में एक हिंदू हुकूमत मुसलमानों को अपने क़ायदों में क़ैद करना चाहती है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब प्रतिबंध के निर्णय के प्रभावों पर अध्ययन किया है, जिसमें कई छात्राओं ने बताया है कि उन्हें कॉलेज बदलकर मुस्लिम संस्थानों में दाखिला लेना पड़ा, अन्य समुदाय के छात्रों के साथ बातचीत सीमित हो गई और उन्होंने अलगाव व अवसाद महसूस किया.
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता के इस सवाल पर कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली मुस्लिम छात्राओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कोई भी स्कूल में कपड़े नहीं उतार रहा है.
सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से मना करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुन रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर किसी को धर्म के पालन का अधिकार है, पर सवाल ये है कि क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है.
कर्नाटक के मंगलुरु स्थित कॉलेज में हिजाब पर रोक का विरोध करने वाली दो मुस्लिम छात्राओं को अन्य कॉलेज में नामांकन के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) दिया गया है, जबकि एक को ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी किया गया है. तीन छात्राओं में से दो ने प्रेस वार्ता कर विश्वविद्यालय परिसर में यूनिफॉर्म नियम को सख़्ती से लागू करने के फैसले पर सवाल उठाया था.
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की बीते 28 मई को मांग करने वाली 12 छात्राएं फिर से सोमवार को भी यूनिवर्सिटी कॉलेज आईं, लेकिन अधिकारियों ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी. ज़िले के उपायुक्त ने कहा कि विश्वविद्यालय के सिंडिकेट ने हिजाब या भगवा स्कार्फ या ऐसा कोई कपड़ा जो शांति भंग कर सकता हो, उसकी अनुमति नहीं देने का फैसला किया है.
कर्नाटक के बागलकोट ज़िले के टेराडल स्थित सरकारी डिग्री कॉलेज का मामला. घटना इसी साल 18 फरवरी की है. 19 वर्षीय छात्र नवीद हसन साब थरथारी ने आरोप लगाया है कि वह टोपी पहनकर कॉलेज गए थे, लेकिन प्रिंसिपल ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया. पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की और उनकी आस्था को लेकर उनका अपमान किया. इस मामले में एक स्थानीय अदालत के निर्देश पर केस दर्ज किया गया है.
हिजाब का मुद्दा फिर से सामने आने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जोर देकर कहा है कि सभी को हाईकोर्ट और सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए. इस मुद्दे के ख़त्म हो जाने का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से ऐसे मुद्दों में पड़ने के बजाय शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.
तालिबान द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश अंतिम है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. आचरण एवं नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिजाब या हेडस्कार्फ़ मुस्लिम महिलाओं के लिए आवश्यक है और ढंके हुए चेहरों वाली महिला टेलीविज़न प्रस्तुतकर्ता अफ़ग़ानिस्तान में सभी महिलाओं के लिए अच्छे रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी.
तालिबान की ओर से कहा गया है कि अगर एक महिला घर के बाहर अपना चेहरा नहीं ढकती है तो उसके पिता या निकटतम पुरुष रिश्तेदार को क़ैद कर लिया जाएगा या सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा. तालिबान ने बीते मार्च महीने में देश के अधिकतर हिस्सों में कक्षा छह के बाद लड़कियों को स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.