कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद प्रकाशित एक अंक में आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘द ऑर्गनाइज़र’ ने कहा है कि भाजपा के लिए अपनी स्थिति का जायजा लेने का यह सही समय है. क्षेत्रीय स्तर पर मज़बूत नेतृत्व और प्रभावी कार्य के बिना प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
वीडियो: 28 मई को दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाके में सरेआम एक युवती की हत्या हुई. आरोपी साहिल को पुलिस ने अगले दिन यूपी से गिरफ़्तार किया था. अब क्षेत्र के निवासियों और कार्यकर्ताओं का दावा है कि कथित तौर पर आरएसएस से जुड़े लोगों ने इलाके में जाकर लोगों को सांप्रदायिक तरीके से भड़काने का प्रयास किया.
मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. कर्नाटक के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व और राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार को सत्ता खोने का डर सता रहा है. हालांकि, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के जातीय, सामाजिक और राजनीतिक समीकरण एक-दूसरे से पूर्णत: भिन्न हैं.
पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?
कुछ वक़्त पहले तक कहा जा रहा था कि विश्वविद्यालयों को राष्ट्रवादी भावना का प्रसार करना है. उस दौर में परिसर में राष्ट्रध्वज लगाना और वीरता दीवार बनाना ज़रूरी था. अब राष्ट्रवाद का चोला उतार फेंका गया है और बिना संकोच के हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय वहां के संसद भवन में गुजरात दंगों में उनकी भूमिका रेखांकित करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई. इसके बाद हुई एक चर्चा में ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स सीनेटर ने भारत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर वहां के प्रधानमंत्री द्वारा मोदी से बात न करने पर चिंता जताई.
वीडियो: कर्नाटक में भाजपा की हार को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने बस शुरुआत बताया. उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया किया कि कैसे 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने में कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल ज़रूरी भूमिका निभा सकते हैं. उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, कोल्हापुर, पुणे समेत 30 शहरों में 'हिंदू जनाक्रोश रैलियां' आयोजित की गई हैं, जहां हिंदुत्ववादी नेता खुलेआम नफ़रत भरे सांप्रदायिक भाषण देते नज़र आते हैं. हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद इन पर रोक क्यों नहीं लग रही है?
कांग्रेस की सामाजिक न्याय की राजनीति ने भाजपा की ब्राह्मणवादी हिंदुत्व की राजनीति पर ब्रेक लगा दिया है. ज़ाहिर तौर पर इसका दूरगामी असर होगा.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह दर्दनाक है कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बजरंग दल की तुलना बजरंग बली से कर रहे हैं. यह देवता का अपमान करने के समान है. इसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर समूचे प्रचार में अपने पद की गरिमा तक से समझौता किए रखा और मतदाताओं ने जिस तरह उनकी बातों की अनसुनी की, उसका साफ़ संदेश है कि भाजपा के ‘मोदी नाम केवलम्’ वाले सुनहरे दिन बीत गए हैं.
वीडियो: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत के साथ जीत हासिल की है. कांग्रेस को जहां 224 सीटों में 135 सीटें मिलीं हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद भाजपा के खाते में सिर्फ़ 66 सीटें ही आई हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 104 सीटों को अपने नाम किया था.
वीडियो: कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस को मिली जीत के बाद दिल्ली स्थिति पार्टी मुख्यालय पर जश्न का माहौल नज़र आया. द वायर की टीम ने यहां मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस संबंध में बातचीत की.
बजरंग दल के पहले ग्लोबल लीडर नरेंद्र मोदी ने दल का गुणगान क्यों नहीं किया? वे बजरंग दल के काम क्यों नहीं गिना सके? बजरंग दल के विरोधी उसे बुरा-बुरा कहते हैं, तो मोदी और भागवत उसे अच्छा-अच्छा क्यों नहीं कह सके?