पुणे के हडपसर स्थित उन्नति नगर मस्जिद के बाहर 2 जून 2014 को एक 24 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ मोहसिन शेख़ की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे. सभी 21 आरोपी हिंदू राष्ट्र सेना नामक एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन का हिस्सा थे.
बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?
वीडियो: बीते दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदू समाज युद्ध में है, इस लड़ाई में लोगों में कट्टरता आएगी. उनके इस बयान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.
‘रामचरितमानस’ की जो आलोचना बिहार के शिक्षा मंत्री ने की है वह कोई नई नहीं और न ही उसमें किसी प्रकार की कोई ग़लती है. उन पर हमलावर होकर तथाकथित हिंदू समाज अपनी ही परंपरा और उदारता को अपमानित कर रहा है.
तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई ने कोलकाता साहित्य महोत्सव के समापन पर कहा कि कोलकाता आकर विभिन्न धर्मों के लोगों को वास्तव में साथ-साथ रहते देख बहुत अच्छा लग रहा है. मुझे गुजरात में, अहमदाबाद में ऐसा नहीं दिखता.
संघ प्रमुख की मुसलमानों से अपना ‘श्रेष्ठताबोध’ छोड़ने को कहकर उनकी भारतीयता की शर्त तय करने की कोशिश हो या उपराष्ट्रपति की विधायिका का ‘श्रेष्ठताबोध’ जगाकर उसके व न्यायपालिका के बीच का संतुलन डगमगाने की, दोनों के निशाने पर देश का संविधान ही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का राज्य में जाति जनगणना करवाने का निर्णय 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र राष्ट्रीय राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित करने का माद्दा रखता है.
संघ प्रमुख ने ठीक कहा कि हिंदू युद्धरत हैं. लेकिन यह एकतरफ़ा हमला है. पिछले कुछ वर्षों में सारे हिंदू नहीं, लेकिन उनके नाम पर हिंदुत्ववादी गिरोहों ने मुसलमानों, ईसाइयों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है. और दूसरा पक्ष, यानी मुसलमान और कुछ जगह ईसाई, इसका कोई उत्तर नहीं दे सकते. फिर इसे युद्ध क्यों कहें?
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इसमें संदेह नहीं कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में बिल्कुल निहत्थे चल रहे हैं, उनकी रक्षा के लिए कमांडो तैनात हैं पर वे वेध्य हैं. बड़ी बात यह है कि वे निडर हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस तरह के झुकाव वाले लोग हमेशा से थे, जब से मानव का अस्तित्व है. यह जैविक है, जीवन का एक तरीका है. हम चाहते हैं कि उन्हें उनकी निजता का हक़ मिले और वह इसे महसूस करें कि वह भी इस समाज का हिस्सा है.
पिछली सदी के आख़िरी दो दशकों में इस बात पर बहस होती थी कि साध्वी उमा भारती अधिक हिंसक हैं या साध्वी ऋतंभरा. इन दोनों की परंपरा फली फूली. साध्वी प्राची, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जैसी शख़्सियतों के लिए सिर्फ़ लोगों के दिलों में नहीं, विधान सभाओं और संसद में भी जगह बनी.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: आम तौर पर मध्यवर्ग में प्रवेश ज्ञान के आधार पर होता आया है पर यही वर्ग इस समय ज्ञान के अवमूल्यन में हिस्सेदार है. एक ओर तो वह अपनी मातृभाषा से लगातार विश्वासघात कर रहा है, दूसरी ओर हिंदी को हिंदुत्व की, यानी भेदभाव और नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा की राजभाषा बनाने पर तुला है.
आज के भारत में ख़ासकर हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि वे ग़ैर हिंदुओं के धर्म, ग्रंथों, व्यक्तित्वों, उनके धार्मिक आचार-व्यवहार को जानें. मुसलमान, ईसाई, सिख या आदिवासी तो हिंदू धर्म के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं लेकिन हिंदू प्रायः इस मामले में सिफ़र होते हैं. बहुत से लोग मोहर्रम पर भी मुबारकबाद दे डालते हैं. ईस्टर और बड़ा दिन में क्या अंतर है? आदिवासी विश्वासों के बारे में तो हमें कुछ नहीं मालूम.
एक अमेरिकी शोध संस्थान ने 162 देशों में सामूहिक हत्याएं होने की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में भारत को आठवें पायदान पर रखते हुए ऐसे कई उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया है कि किस तरह केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव किया है.
इस्राइली फिल्मकार नदाव लपिद को लगा कि ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म समारोह की गरिमा को धूमिल करने वाली प्रविष्टि है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी. भारत उनके लिए सत्यजित राय, मृणाल सेन, अपर्णा सेन आदि का भारत है. वे उसे अपनी निगाह में गिरते नहीं देखना चाहते.