गाज़ा से होने वाले फिलीस्तीनी हमलों का इज़रायली सरकारों ने लगातार जो एकमात्र समाधान ढूंढा है, वो नाकाफ़ी है- कि अगर वो ज़मीन के रास्ते आए, तो दीवार बना देंगे; अगर रॉकेट दागे, तो इंटरसेप्टर बना लेंगे; अगर हमारे कुछ लोगों को मारा गया, तो उनके कइयों को मार डालेंगे. ऐसे ये सिलसिला लगातार चलता रहेगा.
फिलीस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के लड़ाकों द्वारा गाज़ा की सीमा से लगे इज़रायल के भीतर सैकड़ों मिसाइलें दागी गईं और सैन्य एवं नागरिक ठिकानों पर क़ब्ज़ा कर लिया गया, जिसके बाद इज़रायल ने जवाबी कार्रवाई की है. इस बीच यरुशलम गए मेघालय के रहने वाले 27 भारतीय इस युद्ध की वजह से वहां फंस गए हैं.
भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया पर एक पोस्टर साझा किया गया, जिसमें अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस द्वारा राहुल गांधी को कठपुतली बनाकर चलाते हुए दिखाया गया है. सोरोस की यह तस्वीर जो एक वायरल दक्षिणपंथी यहूदी विरोधी मीम है. इस पोस्टर की आलोचना करते हुए इसे घृणात्मक और विकृत बताया गया है.
एक मीडिया रिपोर्ट में पता चला है कि दिल्ली के बाहर भारत में काम करने वाले अधिकांश कनाडाई राजनयिकों को कुआलालंपुर या सिंगापुर ले जाया गया है. यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडा की धरती पर उनके एक नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद सामने आया है.
पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, छात्रों, श्रमिकों और आदिवासियों पर आरोप लगाने के लिए यूएपीए का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) और छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) और आईपीसी में राजद्रोह जैसे अन्य कठोर अधिनियम भी लागू किए गए हैं.
अगस्त 2022 में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को क़तर में गिरफ़्तार कर लिया गया था. वह वहां दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज़ में काम करते थे. वह अभी भी क़तर की जेल में बंद हैं, जबकि इनके साथ गिरफ़्तार दहरा ग्लोबल के मालिक एक ओमानी नागरिक को नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया था.
वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें. किसानों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप उन्होंने सुझाव दिया था कि न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमने कनाडा से कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जैसे कृत्यों में शामिल होना भारत सरकार की नीति नहीं है. भारत ने यह भी कहा था कि अगर कनाडा कोई विशेष जानकारी प्रदान करता है तो वह इस पर विचार करने के लिए तैयार है.
वीडियो: भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव में अब अमेरिका की भी एंट्री हो गई है. बीते 23 सितंबर के न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर में में दावा किया गया था कि कनाडा ने जिस खुफिया सूचना के आधार पर खालिस्तान नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है, वह उसे किसी और ने नहीं बल्कि अमेरिकी एजेंसियों ने उपलब्ध कराई थी.
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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क’ द्वारा आयोजित एक चर्चा में कहा कि विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन में कुछ मतभेदों को दूर करने की ज़रूरत है, लेकिन वे सब मिलकर 'आइडिया ऑफ इंडिया' को बचाने के लिए लड़ रहे हैं.
'फाइव आइज़' एक इंटेलिजेंस नेटवर्क है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं. कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने कहा है कि नेटवर्क साझेदारों के बीच साझा ख़ुफ़िया जानकारी ने ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार के ख़िलाफ़ आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया था.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार से एक बार फिर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की आधिकारिक जांच में सहयोग करने का आह्वान किया है. निज्जर को कनाडा अपने देश का नागरिक बता रहा है, जबकि भारत में वह खालिस्तान समर्थक के तौर पर वांछित थे. ट्रूडो ने कहा कि उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के ‘विश्वसनीय’ कारण हैं कि भारत सरकार के एजेंट इस हत्या में शामिल थे.
इस साल मार्च और जुलाई महीने में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा हमला किया गया था. कनाडा द्वारा खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के बीच एनआईए ने 10 खालिस्तान समर्थकों की तस्वीरें जारी कर इनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है, जिससे उनकी गिरफ़्तारी की जा सके.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनलों को एक एडवाइज़री जारी करते हुए कहा है कि वे ऐसे व्यक्तियों का इंटरव्यू लेने से परहेज़ करें, जिनके ख़िलाफ़ गंभीर अपराध या आतंकवाद के आरोप हैं. एडवाइज़री में मंत्रालय ने किसी व्यक्ति या संगठन का ज़िक्र नहीं किया है.