भारत की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नेपाल के विपक्षी दलों ने उन ख़बरों को लेकर असंतोष जताया है, जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां कर रही है, जिन्हें नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल किया है. नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल द्वारा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से सीमा मुद्दे पर अपना रुख़ रखने और लिपुलेख पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है.
विभाजन या इतिहास के किसी भी कांटेदार खंडहर में फंसे जिस्मों को भूलकर, अगर सत्ताधारियों के लिबास में नज़र आने वाले सितम-ज़रीफ़ ख़ुदाओं के जाल को नहीं तोड़ा गया तो मरने वाले की ज़बान पर भी ख़ुदा का नाम होगा और मारने वाले की ज़बान पर भी ख़ुदा का नाम होगा.
पुलिस का आरोप है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता एहसान उन्टू सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के ख़िलाफ़ नफ़रती एजेंडा चला रहे थे.
उत्तराखंड में 30 दिसंबर को एक चुनावी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार लिपुलेख में सड़क विस्तार करने जा रही है. इसके बाद नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख दल नेपाली कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मुद्दा दोनों देशों के बीच हुए समझौते के ख़िलाफ़ है. नेपाल लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता रहा है.
देश में बीते एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,68,833 नए मामले सामने आए हैं, जिसके साथ ही कुल मामलों की संख्या 3,68,50,962 हो गई है. इनमें ओमीक्रॉन के 6,041 मामले हैं. विश्वभर में संक्रमण के 32.32 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और इसके चलते 55.29 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, शेरों को रहने के लिहाज़ से उपयुक्त वन क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों के दौरान 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल वन क्षेत्र में साल 2019 के मुक़ाबले 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है.
भारत में बीते एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,64,202 नए मामले सामने आए हैं, जो 239 दिनों में सबसे अधिक है. इसके साथ ही कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,65,82,129 हो गई है. इस अवधि में संक्रमण से 315 मरीज़ों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 4,85,350 हो गई है.
देश में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के 2,47,417 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या 3,63,17,927 हो गई है, जिनमें 5,488 मामले ओमीक्रॉन स्वरूप के हैं. विश्वभर में संक्रमण के 31.53 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और 55.10 लाख से अधिक लोग महामारी के चलते जान गंवा चुके हैं.
भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 1,94,720 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या 3,60,70,510 हो गई है, जिनमें 4,868 मामले ओमीक्रॉन स्वरूप के हैं. इस अवधि में 442 और मरीज़ों की मौत होने से कोविड-19 के मृतकों की संख्या 4,84,655 पर पहुंच गई है.
केंद्र के राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम की एक विश्लेषण रिपोर्ट अनुसार, पिछले तीन सालों के दौरान देशभर में उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद की वायु गुणवत्ता ख़राब आबोहवा की श्रेणी में रखे जाने वाले 132 शहरों में सबसे ख़राब रही. वहीं, दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा.
कजाकिस्तान में दो जनवरी को एक प्रकार के वाहन ईंधन की क़ीमतों के लगभग दोगुने होने पर प्रदर्शन शुरू हुए थे, जो तेज़ी से पूरे देश में फैल गए. इन प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में 2,200 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं. देश की ख़ुफ़िया और आतंकवाद-निरोधक एजेंसी ने सोमवार को कहा कि अब स्थिति ‘स्थिर और नियंत्रण में है.’
देश में लगातार तीसरे दिन कोविड संक्रमण के डेढ़ लाख से अधिक मामले सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या 3,58,75,790 हो गई है. इनमें ओमीक्रॉन स्वरूप के 4,461 मामले हैं. दुनियाभर में संक्रमण के 31.05 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और 54.95 लाख से अधिक लोग महामारी के चलते जान गंवा चुके हैं.
भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड 19 संक्रमण के 1,79,723 नए मामले आने से कुल मामलों की संख्या 3,57,07,727 पर पहुंच गई है और मृतकों का आंकड़ा 4,83,936 हो गया है. देश में वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन मामलों की संख्या चार हज़ार के पार हो गई है.
टोरंटो विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल के सर्वेक्षण में पाया गया कि कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक क़रीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी. सर्वेक्षण में तक़रीबन 1.4 लाख वयस्कों को शामिल किया गया था. अध्ययन में दो सरकारी डेटा स्रोतों के ज़रिये भारत सरकार के प्रशासनिक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. इसमें आईआईएम अहमदाबाद और चुनाव सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर भी शामिल थे.
विशेष: यशपाल के लिए साहित्यिकता अपने विचारों को एक बड़े जन-समुदाय तक पहुंचाने का माध्यम थी. पर इस साहित्यिकता का निर्माण विद्रोह और क्रांति की जिस चेतना से हुआ था, वह यशपाल के समस्त लेखन का केंद्रीय भाव रही. यह उनकी क्रांतिकारी चेतना ही थी जो हर यथास्थितिवाद पर प्रश्न खड़ा करती थी.