कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में दुनिया भर में मारे गए 99 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों में से तीन चौथाई से अधिक की मौत इज़रायल-गाजा युद्ध में हुई. इस संघर्ष ने तीन महीनों में इतने पत्रकारों की जान ली, जितनी किसी एक देश में पूरे साल में नहीं हुईं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पिछले साल फरवरी में मुज़म्मिल मंज़ूर वार की हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया था, लेकिन 467 दिन बाद भी वह जेल में हैं. उन्हें विवादास्पद जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था, जो लोगों को 2 साल तक बिना मुक़दमे के हिरासत में रखने की अनुमति देता है.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि वे हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और सूबे की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि सज्जाद हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म करने और दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बाद यहां के साढ़े चार सौ से अधिक कारोबारियों, पत्रकारों, वकीलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक सूची तैयार की है, जिनके विदेश जाने पर रोक लगाई गई है. प्रशासन ने किसी भी व्यक्ति को नहीं बताया है कि यह प्रतिबंध कब तक रहेगा.
कश्मीर प्रेस क्लब ने पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए इंटरनेट और टेलीफोन सुविधा बहाल करने की मांग करते हुए प्रशासन द्वारा कुछ पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करने के आदेश की आलोचना की है.
कश्मीरी पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी ने कहा कि वह जर्मनी के मीडिया संगठन डॉयचे वेले के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जर्मनी जा रहे थे लेकिन उन्हें दिल्ली के आईजीआई हवाईअड्डे पर रोक लिया गया.
पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल को वापस श्रीनगर भेज दिया गया, जहां उन्हें जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया.