जम्मू-कश्मीर: प्रशासन ने सुरक्षा ख़तरा बताते हुए चार सरकारी कर्मचारियों को बिना जांच के बर्ख़ास्त किया

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 'सुरक्षा के लिए ख़तरा' बताते हुए दो पुलिसकर्मियों सहित चार सरकारी कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत तत्काल प्रभाव से बर्ख़ास्त किया है. सूबे में पिछले चार वर्षों में इस तरह कुल 64 सरकारी कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया जा चुका है.

जम्मू कश्मीर सरकार के चार कर्मचारी ‘राज्य की सुरक्षा के लिए ख़तरा’ होने के आरोप में बर्ख़ास्त

बर्ख़ास्त किए गए कर्मचारियों में एसएमएचएस अस्पताल श्रीनगर में सहायक प्रोफेसर (मेडिसिन) और डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के अध्यक्ष डॉ. निसार-उल-हसन भी शामिल हैं. कथित तौर पर ‘राज्य की सुरक्षा के लिए ख़तरा’ होने के कारण अप्रैल 2021 से अब तक लगभग 55 कर्मचारियों को जम्मू कश्मीर सरकार बर्ख़ास्त कर चुकी है.

आरआर स्वैन जम्मू कश्मीर के नए पुलिस प्रमुख ​बनाए गए

एजीएमयूटी कैडर के 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी आरआर स्वैन, डीजीपी दिलबाग सिंह का स्थान लेंगे, जो 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. स्वैन ने आतंकवाद समर्थकों, उनके ओवर-ग्राउंड कार्यकर्ताओं के साथ ही उनके फंडिंग के चैनल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करके आतंकी तंत्र को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने डीजीपी दिलबाग सिंह को अपनी मर्ज़ी से डीएसपी का तबादला करने से रोका

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब से सरकार की पूर्व मंज़ूरी प्राप्त किए बिना डीएसपी स्तर पर कोई भी तबादला नहीं किया जाएगा और डीएसपी के तबादलों तथा पोस्टिंग के प्रस्ताव पूरे विवरण के साथ गृह विभाग को भेजे जाएं. लोगों ने इसे डीजीपी के अधिकार को कमज़ोर करने का प्रयास बताया है.

हैदरपोरा एनकांउटर में मृत तीसरे नागरिक के शव निकालने की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते 27 मई को अधिकारियों से मोहम्मद लतीफ़ माग्रे की मौजूदगी में हैदरपोरा एनकाउंटर में मृत उनके बेटे आमिर के अवशेषों को निकालने का आदेश दिया था. हालांकि छह जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी. आमिर उन चार लोगों में से एक थे, जो नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. इनमें से दो लोगों के शव विरोध के बाद उनके परिजनों

हैदरपोरा एनकाउंटर: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने तीसरे नागरिक का शव क़ब्र से निकालने का आदेश दिया

आमिर लतीफ़ माग्रे उन चार लोगों में से एक थे, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. एनकाउंटर की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश और विरोध के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों- अल्ताफ़ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया था. हाईकोर्ट ने आमिर का शव उनके परिजनों के सुपुर्द न करने के जम्मू कश्मीर पुलिस के फैसले को संविधान के

जम्मू कश्मीर: पूर्व राज्यपाल के 300 करोड़ की रिश्वत संबंधी आरोपों पर सीबीआई ने दो केस दर्ज किए

अक्टूबर 2021 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें कुछ परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. सीबीआई ने अब इस संबंध में जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की है.

अमित शाह के दौरे से पहले कश्मीर के कुछ हिस्सों में इंटरनेट बंद, बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन ज़ब्त

पुलिस अधिकारियों ने का कहना है कि इंटरनेट बंद करने और दोपहिया वाहनों को ज़ब्त करने का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से कोई लेना-देना नहीं है. यह आतंकवाद रोधी नियमित उपायों का हिस्सा है. शाह तीन दिवसीय दौरे के लिए शनिवार को श्रीनगर पहुंचेंगे और सुरक्षा समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता करेंगे. 

कश्मीर गए बाहर के लोगों को जान-बूझकर निशाना बनाया जाना चिंता का विषय: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जम्मू कश्मीर में बिहार के मज़दूरों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि हमें भरोसा है कि प्रशासन बिहार के लोगों की सुरक्षा का इंतज़ाम करेगा, ताकि आतंकी इस तरह की घटना को अंजाम न दे सके. बीते 17 अक्टूबर को आतंकवादियों ने बिहार के दो मज़दूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस महीने आतंकियों द्वारा नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए हमलों में 11 लोगों की मौत हो चुकी है.

दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों ने बिहार के दो और मज़दूरों की गोली मारकर हत्या की

घटना कुलगाम ज़िले में हुई है. यह मिलिटेंट संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' के संस्थापक अब्बास शेख का गृह ज़िला है, जिसने सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ कश्मीर में रहने वाले स्थानीय और ग़ैर-स्थानीय अल्पसंख्यकों पर हाल के अधिकांश हमलों की ज़िम्मेदारी ली है. इस महीने अब तक नागरिकों को निशाना बनाकर की गई गोलीबारी में 11 लोगों की मौत हो चुकी है.

जम्मू-कश्मीर के रामबन में आंदोलनरत सरपंचों और पंचों ने इस्तीफ़ा वापस लिया

बीते आठ अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले के तीन ब्लॉकों- बनिहाल, रामसू और उखराल के क़रीब 70 सरपंचों और पंचों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया था. उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया था.

जम्मू कश्मीर के क़रीब 70 सरपंचों और पंचों ने सामूहिक इस्तीफ़ा दिया

जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले में बनिहाल, रामसू और उखराल ब्लॉकों के पंचायत सदस्यों ने इस्तीफ़ा दिया है. अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए पद त्याग दिया है.

फ़िर दहला कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी क्यों नहीं रुका आतंकवाद?

वीडियो: जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.

आतंकी हमले में मृत प्रिंसिपल और शिक्षक का अंतिम संस्कार, जम्मू कश्मीर में विरोध-प्रदर्शन

जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.

कश्मीर: नेशनल हाईवे पर नागरिक यातायात प्रतिबंधित, अदालत ने केंद्र-राज्य से जवाब मांगा

पुलवामा हमले के बाद बीते तीन अप्रैल को जम्मू कश्मीर सरकार ने लोकसभा चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की आवाजाही के मद्देनज़र हफ्ते में दो दिन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर नागरिक यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि ऐसा क़दम कारगिल युद्ध के समय भी नहीं उठाया गया था.