धर्म परिवर्तन रोकने के लिए झारखंड सरकार ने विधेयक को मंज़ूरी दी

विधेयक के अनुसार जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने का दोषी पाए जाने पर 3 साल की सज़ा और 50 हज़ार रुपये का ज़ुर्माना देना होगा.

जब पूर्वोत्तर और कश्मीर में मीडिया पर हमला होता है, तब प्रेस की आज़ादी की चर्चा क्यों नहीं होती?

दशकों से उत्तर-पूर्व और कश्मीर के मीडिया संस्थान अपनी आज़ादी की लड़ाई राष्ट्रीय मीडिया के समर्थन के बगैर लड़ रहे हैं.

कोयलांचल में ‘विनाश पर्व’

पिछले 70 साल में कोयलांचल की आग बुझाने, रेललाइन की वैकल्पिक व्यवस्था करने और झरिया-सिंदरी बचाने का कोई काम क्यों नहीं हुआ?

क्या एक आदिवासी की हत्या का जश्न मना रही है झारखंड पुलिस?

झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को नक्सली बताकर मार डाला था, उसे निर्दोष बताते हुए आदिवासी और मज़दूर संगठन प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं.

वीडियो: झारखंड और सहारनपुर में हुई हालिया हिंसा से उपजे सामाजिक तनाव पर चर्चा

झारखंड और सहारनपुर में हुई हालिया हिंसा से उपजे सामाजिक तनाव का जायजा लेकर लौटे द वायर के पत्रकार अजय आशीर्वाद और कृष्णकांत की बातचीत.

झारखंड: बच्चा चोर गैंग की अफ़वाह, अब तक 18 लोगों की पीटकर हत्या

बच्चा चोर किसी ने नहीं देखा, न किसी का बच्चा चोरी हुआ. फिर भी महिलाओं-बच्चों को घरों में बंद कर रात भर पहरा देते हैं हथियारबंद ग्रामीण.

नक्सली हिंसा पर जेएनयू से नहीं खनन माफियाओं से सवाल पूछे जाने चाहिए

अवैध खनन माफिया और नक्सलियों के बीच एक साझेदारी है- दोनों ही चाहते हैं कि छतीसगढ़ के जो ज़िले पिछड़े और दूरस्थ हैं, वे वैसे ही बने रहें क्योंकि इनके ऐसे बने रहने में ही इनका फायदा है.

झारखंड: हिंदू लड़की से कथित प्रेम के चलते ​मुस्लिम युवक की पीट-पीट कर हत्या

पुलिस के मुताबिक, झारखंड में कथित तौर पर हिंदू लड़की से प्रेम के चलते मुस्लिम युवक की पेड़ से बांधकर बर्बरतापूर्वक पिटाई की गई. लड़के की अस्पताल में मौत हो गई.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी का मामला, छह राज्यों को नोटिस

याचिका में कोर्ट से गोरक्षा दलों पर पाबंदी लगाने और गोरक्षा क़ानून के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक क़रार देने की मांग की गई है.

क्या सचमुच ‘भूतों’ के पेट में जा रहा है मिड डे मील?

आधार के समर्थन में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि लाखों ‘छात्रों के भूत’ मिड डे मील का लाभ उठा रहे हैं. ये दावे न तो प्रमाणिक हैं, न गंभीर जांच पर आधारित हैं.

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