रामगढ़ ज़िले में एक सरकारी स्कूल में बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से 2014 के नोबेल शांति पुरस्कार की विजेता और पाकिस्तान की समाजसेवी मलाला यूसुफ़ज़ई की तस्वीर वाले पोस्टर से लगाए गए थे. हालांकि, ग्रामीणों ने इसका यह कहकर विरोध किया कि उन्हें किसी पाकिस्तानी से सीखने की ज़रूरत नहीं है.
वीडियो: एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहली बार केंद्र की सत्ता संभालने के बाद ईसाई समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले 400 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इसके अलावा हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश से दर्ज की गई हैं.
झारखंड के लातेहार ज़िले में अभिभावकों और छात्रों ने एक शिक्षक स्कूलों वाले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार शिक्षकों की पोस्टिंग की मांग की. इस अधिनियम के तहत प्रत्येक स्कूल में कम से कम दो शिक्षक और प्रत्येक 30 बच्चों के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए.
पुलिस ने बताया कि जमशेदपुर के कदमा इलाके में शनिवार रात को तनाव व्याप्त हो गया था, जब एक स्थानीय संगठन के सदस्यों ने रामनवमी के झंडे में मांस का एक टुकड़ा लिपटा हुआ पाया. इसके बाद रविवार शाम को स्थिति हिंसक हो गई.
झारखंड के रांची ज़िले का मामला. मृतक की पहचान ज़िले के चान्हो प्रखंड के पंडरी गांव के 22 वर्षीय पेंटर वाजिद अंसारी के रूप में हुई है. पुलिस ने इस संबंध में दो एफ़आईआर दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 बताती है कि भारत के 25 राज्य मानवाधिकार आयोगों में से अधिकांश में मामलों की जांच करने के लिए स्टाफ तक नहीं है, जिसके चलते मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच और समाधान खोजने की उनकी क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित है.
ईसाई समुदाय और संस्थानों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय से कहा है कि वह संबंधित राज्यों से ईसाइयों पर हमलों से जुड़े मामलों में की गई कार्रवाई का डेटा एकत्र करे. यह डेटा कम से कम आठ राज्यों से एकत्र किया जाना है.
गिरिडीह ज़िले के कोसोगोंदोदिघी गांव में मारपीट के मामले में के एक आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम ने बुधवार आधी रात उनके घर पर छापेमारी की थी. उनके परिजनों का आरोप है कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने चारपाई पर सोए सात दिन के नवजात शिशु पर पांव रख दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.
राष्ट्रीय सांख्यिकी सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूरी में लैंगिक अंतर बढ़ गया है. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में पिछले एक दशक में इस अंतर को कम होते देखा गया है.
यह क़दम झारखंड सरकार द्वारा विभिन्न स्रोतों से ‘सूचना’ प्राप्त करने के बाद उठाया गया है कि वैध ई-चालान के बिना खनिजों की ‘बड़ी मात्रा’ को रेलवे के माध्यम से ले जाया या भेजा जा रहा है. झारखंड पिछले एक साल से साहिबगंज ज़िले में अवैध रूप से 1000 करोड़ रुपये के खनन किए गए पत्थरों को लेकर सुख़ियों में है.
केंद्र सरकार के बजट में सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा को न केवल दरकिनार किया गया है बल्कि मनरेगा सरीखी कई ज़रूरी योजनाओं के आवंटन में भारी कटौती की गई है. ऐसे में झारखंड जैसा राज्य जो कुपोषण, ग़रीबी व ग्रामीण बेरोज़गारी से जूझ रहा है, वहां आने वाले राज्य बजट के पहले पिछले बजटों में की गई घोषणाओं के आकलन की ज़रूरत है.
दो पत्रकारों ने जून 2020 में आरोप लगाया था कि झारखंड के गोसेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए अम्रतेश सिंह चौहान द्वारा 2016 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों को रिश्वत के रूप में 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया था. हाईकोर्ट ने आरोप की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे.
बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके प्रदर्शनों के केंद्र में झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पारसनाथ पहाड़ी पर बना जैन तीर्थ स्थल 'सम्मेद शिखर' और गुजरात के भावनगर ज़िले में शत्रुंजय पहाड़ी पर बना एक जैन मंदिर है.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में को लेकर उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से यह प्रदर्शित होता है कि वंचित और आदिवासी बच्चे शिक्षा विभाग द्वारा असहाय छोड़ दिए गए. स्कूल दो साल बंद रहे, लेकिन बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया. इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा केवल मज़ाक बन कर रह गई, क्योंकि सरकारी स्कूलों में 87 प्रतिशत छात्रों की पहुंच स्मार्टफोन तक नहीं थी.
बीते दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छोटे-मोटे अपराधों में जेल की सज़ा काट रहे आदिवासियों की दुर्दशा का ज़िक्र किया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था. झारखंड की जेलों में भी कई ऐसे विचाराधीन क़ैदी हैं, जिन्हें यह जानकारी तक नहीं है कि उन्हें किस अपराध में गिरफ़्तार किया गया था.