लोकसभा में ड्रग्स की तस्करी को लेकर सर्विलांस से जुड़े मसले पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा था.
पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति के कोई निर्णायक निष्कर्ष न देने के बाद अदालत के पास सच्चाई जानने के दो आसान तरीके हैं. एक, केंद्रीय गृह मंत्री, एनएसए समेत महत्वपूर्ण अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफ़नामे मांगना और दूसरा, समिति के निष्कर्षों की प्रतिष्ठित संगठनों से समीक्षा करवाना.
पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये देश के नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी के आरोपों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति ने कहा है कि वे निर्णायक तौर पर नहीं कह सकते कि डिवाइस में मिला मैलवेयर पेगासस है या नहीं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जासूसी के आरोपों पर सुनवाई जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते वर्ष अक्टूबर में सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में पेगासस स्पायवेयर के कथित दुरुपयोग की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था. पत्रकारों, राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए इसका गठन किया गया था.
18 जुलाई 2021 से पेगासस प्रोजेक्ट के तहत एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठन शामिल थे, ने ऐसे मोबाइल नंबरों के बारे में बताया था, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी की गई या वे संभावित सर्विलांस के लक्ष्य थे. इसमें कई भारतीय भी थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी जांच के लिए गठित समिति द्वारा अंतिम रिपोर्ट दिया जाना बाक़ी है.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि तकनीकी समिति पेगासस स्पायवेयर प्रभावित मोबाइल फोन की जांच कर रही है और उसने पत्रकारों समेत कुछ लोगों के बयान भी दर्ज किए हैं. शीर्ष अदालत कथित जासूसी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली पत्रकारों और मीडिया संगठनों द्वारा दाख़िल की गईं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली समिति ने जनता के लिए 11 प्रश्नों का एक फॉर्म तैयार किया है, जिसमें साइबर सुरक्षा को मज़बूत करने के सुझाव और मौजूदा क़ानूनों की प्रभावशीलता व सरकारी निगरानी के संबंध में जनता की राय मांगी गई हैं.
अमेरिकी के वाणिज्य विभाग ने इस ‘ब्लैकलिस्ट’ में चार कंपनियों को शामिल किया है, जिसमें एनएसओ के अलावा इज़रायल की ही एक कंपनी- कैंडिरू भी शामिल है. विभाग की इस लिस्ट में शामिल की गई कंपनियों को अमेरिकी सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर मुहैया कराने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
पेगासस जासूसी का मामला एक तरह से मीडिया, सिविल सोसाइटी, न्यायपालिका, विपक्ष और चुनाव आयोग जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों पर आख़िरी हमले सरीख़ा था. ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फ़ैसले ने कइयों को राहत पहुंचाई, जो हाल के वर्षों में एक अनदेखी बात हो चुकी है.