मणिपुर विधानसभा बुलेटिन के अनुसार, कुकी-ज़ो समुदाय से आने वाले विधायक वुंगज़ागिन वाल्टे, हाओखोलेट किपगेन और एलएम खौटे को उन समितियों से हटा दिया गया है, जिसकी ये अध्यक्षता कर रहे थे. इन्हें हटाने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है. इस बीच ताज़ा हिंसा में कुकी-ज़ो समुदाय के एक और युवक की मौत हो गई है.
मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में 20 नवंबर को हुई हिंसा में कुकी-ज़ो समुदाय के दो व्यक्तियों की गोली लगने से मौत हो गई. वहीं, आदिवासी एकता समिति ने कुकी-ज़ो समुदाय के लोगों पर हमले की निंदा करते ज़िले में ‘आपातकालीन बंद’ की घोषणा की है.
मणिपुर में कुकी-ज़ो लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने तेंगनौपाल, कांगपोकपी और चुराचांदपुर ज़िलों में ‘स्व-शासन’ की घोषणा की है. आईटीएलएफ के एक नेता ने कहा कि हमें ‘मेईतेई मणिपुर सरकार’ से कोई उम्मीद नहीं है और अगर केंद्र हमें मान्यता नहीं देता है तो हमें कोई परवाह नहीं है.
ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
मणिपुर में बीते 3 मई को मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से कम से कम 4,000 हथियार लूटे गए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को पुलिस थानों और शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद की सही संख्या का पता नहीं है, क्योंकि रिकॉर्ड रखने वाले रजिस्टर या तो नष्ट कर दिए गए हैं या किसी के द्वारा ले लिए गए हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.
मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक से अनुपस्थिति इस विषय पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाती है, जबकि मणिपुर में छह सप्ताह से अधिक समय से भड़की जातीय हिंसा जारी है.
पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
पिछले 45 दिनों से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य के विधायकों के दो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 जून से नई दिल्ली में हैं.
मणिपुर हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से हथियार लूटने के मामले में दर्ज विभिन्न एफ़आईआर के द वायर द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एके 47 और इंसास राइफल, बम एवं अन्य आधुनिक हथियार लूटे गए. उपद्रवी बुलेटप्रूफ जैकेट भी ले गए और पुलिस थानों में आग तक लगा दी.
देश भर के 550 से अधिक सिविल सोसायटी समूहों और व्यक्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ा रही है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया गया है.
मणिपुर में पिछले लगभग डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच इंटरनेट पर प्रतिबंध 20 जून तक बढ़ा दिया गया है. अपना घर जलाए जाने पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंसा को लेकर चुप्पी तोड़ने की अपील की है.
मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम ज़िले के लाम्फेल इलाके में स्थित आधिकारिक आवास को बुधवार शाम को जला दिया गया. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. भाजपा से संबद्ध किपगेन उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने हिंसा शुरू होने के बाद अलग प्रशासन की मांग उठाई है.
मणिपुर के एक जनजातीय समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में जारी हिंसा का एकमात्र समाधान मेईतेई और कुकी-जो समुदायों को पूरी तरह से अलग करना है क्योंकि दोनों समुदायों के बीच 'जातीय मतभेद और अविश्वास' समझौते से परे जा चुका है.