केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने मणिपुर में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियमित रूप से प्राप्त रिपोर्ट पर आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से इनकार किया है.
वीडियो: 2 सितंबर को असम राइफल्स के जवानों और मणिपुर पुलिस की एक टीम इंफाल के न्यू लैंबूलेन इलाके में रहने वाले कुछ कुकी परिवारों को जबरन निकालने के लिए पहुंची थी, जो शहर में बचे समुदाय के कुछ आख़िरी परिवार थे. अब उन्हें राजधानी से 25 किलोमीटर दूर कांगपोकपी ज़िले के एक गांव में भेजा गया है.
हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा करने वाली एडिटर्स गिल्ड की फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने रिपोर्ट में 'इंटरनेट बैन' को ग़लती बताते हुए कहा था कि हिंसा के दौरान मणिपुर मीडिया ‘मेईतेई मीडिया’ बन गया था. अब सीएम एन. बीरेन सिंह का कहना है कि सरकार ने गिल्ड सदस्यों पर एफआईआर दर्ज की है, जो 'राज्य में और संघर्ष पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इंफाल से अंतिम पांच कुकी परिवारों को हटाने की ख़बर का हवाला देते हुए कहा कि एक राज्य सरकार ‘जातीय सफाये’ की अगुवाई करती है और केंद्र सरकार का दावा है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार चल रही है... इससे ज़्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पिछले महीने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. टीम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर सरकार द्वारा इंटरनेट बैन का पत्रकारिता पर हानिकारक प्रभाव पड़ा, क्योंकि बिना किसी संचार के एकत्र की गईं स्थानीय ख़बरें स्थिति का संतुलित दृष्टिकोण देने के लिए पर्याप्त नहीं थीं.
असम राइफल्स के महानिदेशक (डीजी) लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा है कि हमने इतिहास में कभी भी इस तरह की किसी स्थिति का सामना नहीं किया है. नागरिकों के पास ‘बड़ी संख्या में हथियार’ चिंता का एक प्रमुख विषय है. जब तक ये हथियार किसी भी तरह से वापस नहीं आ जाते, ये चुनौती सबसे बड़ी रहेगी.
मणिपुर में पिछले चार महीने से जातीय हिंसा लगातार जारी है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में बहुत सारे नागरिक समाज संगठन हैं, जो अलग-अलग तरह की बात करते हैं. उन्होंने हिंसा ख़त्म करने के लिए संगठनों से एक ठोस प्रस्ताव लाने और एक स्वर में बोलने की अपील की, ताकि इसे दिल्ली में केंद्र सरकार तक पहुंचाया जा सके.
हिंसाग्रस्त मणिपुर के चूड़ाचांदपुर और बिष्णुपुर ज़िलों की सीमा पर कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच बुधवार से रुक-रुककर फायरिंग हुई है. इसमें इंडिया रिज़र्व बटालियन के दो कर्मियों सहित कम से कम सात लोग घायल हुए हैं और 29 अगस्त से अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है.
वीडियो: मई में मणिपुर में छिड़ी हिंसा के महीनेभर बाद वहां पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने इंफाल पहुंचने में असमर्थ कुकी लोगों को उनके क्षेत्र में केंद्र द्वारा मेडिकल सुविधा देने का वादा किया था. हालांकि, चूड़ाचांदपुर के राहत कैंपों के इंचार्ज बताते हैं कि अगस्त के अंतिम हफ्ते तक केंद्र की तरफ से कोई मेडिकल मदद नहीं पहुंची.
हिंसाग्रस्त मणिपुर में बीते रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के न्यू लाम्बुलाने इलाके में अज्ञात लोगों ने तीन ख़ाली पड़े घरों में आग लगा दी थी. वहीं, सगोलबंद बिजॉय गोविंदा इलाके में अज्ञात लोगों ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक के. राजो के सुरक्षा गार्डों से दो असॉल्ट राइफलें और एक कार्बाइन छीन ली थी.
एक प्रेस बयान में कुकी-ज़ो-हमार विधायकों ने स्पष्ट किया कि बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है. मुख्यमंत्री ने दावा किया था वह कुकी-ज़ो-हमार विधायकों के साथ ‘नियमित’ संपर्क में थे, जो पहाड़ी ज़िलों के लिए अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं.
कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) ने मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में कुकी-ज़ो समुदायों को आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति की मांग करते हुए दो राष्ट्रीय राजमार्गों एनएच-2 और एनएच-37 पर नाकाबंदी शुरू कर दी. एनएच-2 इंफाल को नगालैंड के दीमापुर से जोड़ता है और एनएच-37 जो इंफाल को असम के सिलचर से जोड़ता है.
घटना मणिपुर के उखरुल ज़िले के थोवई कुकी में शुक्रवार तड़के हुई. पुलिस ने कहा कि इस ज़िले ने राज्य के मेईतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच चल रही झड़पों में हिंसा नहीं देखी है. यह घटना राज्य में लगभग दो सप्ताह की अपेक्षाकृत शांति के बाद हुई है.
मणिपुर के 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों, जिनमें भाजपा के आठ विधायक भी शामिल हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि इंफाल कुकी-ज़ोमी लोगों के लिए मौत और विनाश की घाटी बन गया है. विधायकों ने यह भी कहा है कि वे ‘व्यवस्थित जातीय सफाये’ के शिकार हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री से समुदाय के उचित पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये मंज़ूर करने की अपील की है.
मणिपुर सरकार ने सभी कर्मचारियों को ‘अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी, सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले’ सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का एक साल पुराना आदेश फिर से जारी किया है. चेतावनी दी गई है कि हिंसाग्रस्त राज्य में अशांति फैलाने की कोशिश करने वाली किसी भी चीज़ से जुड़े पाए जाने पर उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.