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‘असद बज़्मे-तमाशा में, तग़ाफ़ुल पर्दादारी है’

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ग़ालिब ने अपनी शायरी का आलम घर, आग, तमाशे, ग़मेहस्ती, नाउम्मीदी, तमन्ना, बियाबान और उरियानी से रचा-गढ़ा. दिगंबरता को याने उरियानी को उनके यहां जैसे बरता गया है वह पश्चिमी न्यूडिटी की अवधारणा से बिल्कुल अलग है.

क्या उर्दू के प्रचार-प्रसार को ठप करने की सियासी साज़िश चल रही है?

शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद को उर्दू भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए आवंटित बजट संस्थान की कोई जनरल बॉडी गठित न होने के चलते इस्तेमाल नहीं किया जा सका है. ऐसे में जानकार और भाषाविद सरकार की मंशा को लेकर संदेह जता रहे हैं.

संस्कृत को देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता: पूर्व सीजेआई एसए बोबडे

संस्कृत भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन में देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने अदालतों में संस्कृत इस्तेमाल करने की बात करते हुए कहा कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.

‘खेला’ अपने बिखराव और उलझाव के बावजूद साहसिक उपन्यास है…

पुस्तक समीक्षा: नीलाक्षी सिंह का ‘खेला’ आसानी से हाथ आने वाला कथानक नहीं है. इसमें कई पात्रों का भंवर जाल-सा है, तो कहीं लगता है कि समकालीन विमर्शों का लावा फूट पड़ा है.

मुक्तिबोध: ज़माने के चेहरे पर… ग़रीबों की छातियों की ख़ाक है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मुक्तिबोध ने आज से लगभग छह दशक पहले जो भारतीय यथार्थ अपनी कविता में विन्यस्त किया था, वह अपने ब्यौरों तक में आज का यथार्थ लगता है.

झारखंड: सरना धर्म संहिता की मांग को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन

‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ ने सरना धर्म संहिता और जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की मांग को लेकर कहा कि यदि केंद्र 20 नवंबर तक ऐसा न करने की वजह बताने में विफल रहा तो ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के पचास ज़िलों में आदिवासियों को 30 नवंबर से ‘चक्का जाम’ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की याचिका ख़ारिज की

पूर्व आईएएस अधिकारी केजी वंजारा ने एक जनहित याचिका में संस्कृत को राष्ट्रभाषा के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश देने का आग्रह किया था. अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि इस मुद्दे को उठाने का सही मंच संसद है, न कि अदालत.

उत्तराखंड के हर ज़िले में बनेगा एक संस्कृत ग्राम, लोग इसी भाषा में बातचीत करेंगे: मंत्री

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि सरकार ने सभी 13 ज़िलों में एक ‘संस्कृत ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है. इन गांवों के निवासियों को विशेषज्ञों द्वारा इस भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है.

साहित्य उम्मीद की विधा है क्योंकि यह यथार्थ, क्रूर वर्तमान का सामना करने का साहस करता है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस समय की प्रचलित टेक्नोलॉजी और प्रविधियां तेज़ी और सफलता से यथार्थ को तरह-तरह से रचती रहती हैं. इस रचे गए यथार्थ का सच्चाई से संबंध अक्सर न सिर्फ़ क्षीण होता है बल्कि ज़्यादातर वे मनगढ़ंत और झूठ को यथार्थ बनाती हैं. हमारे समय में राजनीति, धर्म, मीडिया आदि मिलकर जो मनोवांछित यथार्थ रच रहे हैं उसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं होता. इस यथार्थ को प्रतिबिंबित करना झूठ को मानना और फैलाना होगा.

आदिवासियों ने प्रदर्शन कर कहा, ‘सरना’ को आदिवासियों के धर्म के तौर पर मान्यता दे केंद्र

झारखंड, ओडिशा और असम सहित पांच राज्यों के विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन कर केंद्र से उनके धर्म को ‘सरना’ के रूप में मान्यता देने और आगामी जनगणना के दौरान इस श्रेणी के तहत उनकी गणना सुनिश्चित करने की मांग की. उनका कहना है कि देश में आदिवासियों का अपना धर्म, धार्मिक प्रथाएं और रीति-रिवाज हैं, लेकिन इसे अभी तक सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिली है.

गोपी चंद नारंग का जाना उर्दू अदब की साझी विरासत के प्रतीक का जाना है…

स्मृति शेष: बीते दिनों प्रसिद्ध आलोचक, भाषाविद और उर्दू भाषा व साहित्य के विद्वान डॉ. गोपी चंद नारंग नहीं रहे. ऐसे समय में जब उर्दू भाषा को धर्म विशेष से जोड़कर उसकी समृद्ध साझी विरासत को भुला देने की कोशिशें लगातार हो रही हैं, डॉ. नारंग का समग्र कृतित्व एक भगीरथ प्रयास के रूप में सामने आता है.

सांप्रदायिकता से जूझते भारत में पॉल आर. ब्रास का लेखन और प्रासंगिक हो चला है

स्मृति शेष: आज़ाद भारत के बदलते हुए राजनीतिक परिदृश्य और लोकतंत्र के विविध पक्षों का गहन विश्लेषण करने वाले राजनीति विज्ञानी पॉल आर. ब्रास का बीते दिनों निधन हो गया. अपने लेखन को उन्होंने केवल सियासी बदलावों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि चुनावी राजनीति में हथकंडे के रूप में दंगों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस्तेमाल के साथ ही मीडिया और पुलिस की भूमिका पर भी रोशनी डाली.

महाराष्ट्र: भाजपा नेता का यूपी में मराठी पढ़ाने का आग्रह, कहा- प्रवासियों को मिलेंगी बेहतर नौकरी

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यूपी के स्कूलों में मराठी को वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि मराठी सीखने से इन छात्रों के महाराष्ट्र आने पर उनके अच्छी नौकरियां पाने की संभावना बढ़ेगी.

गीतांजलि श्री के हिंदी से अनूदित उपन्यास ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला

लेखक गीतांजलि श्री के मूल रूप से हिंदी में लिखे गए उपन्यास ‘रेत समाधि’ के डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बुकर पाने वाला यह किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है.