राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहीं नलिनी श्रीहरन ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनके समय-पूर्व रिहाई के अनुरोध को ख़ारिज कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें हाईकोर्ट ने ‘नौकरी के बदले नकद’ घोटाले की आपराधिक शिकायत संबंधित पक्षों के बीच समझौते के आधार पर निरस्त कर दी थी.
2018 में तमिलनाडु के तूतुकुडी में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने वाले नागरिकों पर पुलिस फायरिंग की जांच के लिए बने जस्टिस अरुणा जगदीशन कमीशन ऑफ इंक्वायरी ने प्रदर्शनकारियों पर 'बिना किसी कारण के अत्यधिक घातक बलप्रयोग' के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफ़ारिश की है.
जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन द्वारा ढाई करोड़ रुपये से अधिक के टेलीफोन बिल का भुगतान नहीं किया गया है. फाउंडेशन का कहना है कि आश्रम से इतनी बड़ी संख्या में कॉल्स नहीं हुई है और वहां स्थित निजी एक्सचेंज को नींव से हैक करने से इतना बिल आया है. बीएसएनएल इसके ख़िलाफ़ मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा है.
तमिल फिल्म ‘जय भीम’ पर कथित तौर पर वन्नियार समुदाय को ग़लत तरीके से दिखाकर उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था. फिल्म साल 1995 में तमिलनाडु में हिरासत में यातना और एक ‘कोरवार’ आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की मौत की सच्ची घटना पर आधारित कहानी है.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी नलिनी श्रीहरन ने अपनी ज़मानत याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को ज़मानत दी कि वह 32 साल से भी अधिक समय तक जेल में रहे. नलिनी ने कहा कि वह भी तीन दशकों से अधिक समय से जेल में है और जमानत पाने की हक़दार है.
तमिलनाडु में तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. 12वीं की इस छात्रा ने बीते नौ जनवरी को जहर खा लिया था और 19 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी. आरोप है कि छात्रावास में रह रही इस छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वसीयत के बिना किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उनकी बेटी उनके द्वारा स्व-अर्जित या पारिवारिक विभाजन में मिली संपत्ति में अपने अन्य संबंधियों (जैसे मृत पिता के भाइयों के बेटे/बेटियों) के साथ वरीयता में उत्तराधिकारी होने की हक़दार होगी.
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीठ ने ‘करुर लॉयर्स’ नामक वॉट्सऐप ग्रुप चलाने वाले एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता का नाम चार्जशीट से हटाने का भी निर्देश दिया.
मीडिया कंपनियों के एक 13-सदस्यीय समूह डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन की याचिका पर कोर्ट का ये आदेश आया है. इससे पहले सितंबर महीने में हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 के एक प्रमुख प्रावधान के पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए केंद्र द्वारा एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है.
मद्रास हाईकोर्ट ने तीन लोगों की की रिट याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए यह सुझाव दिया. तीनों पेट्रोल पंप के मालिक हैं. तीनों ने एक दशक से अधिक समय से किराये के रूप में कई करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने पर रक्षा विभाग द्वारा उन्हें ज़मीन से हटाए जाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.
याचिकाकर्ता आदि-द्रविड़ समुदाय से संबंध रखता है और उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है. उन्हें पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. उन्होंने हिंदू धर्म के अरुणथाथियार समुदाय से संबंध रखने वाली महिला से शादी की है. जिसे अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. उन्होंने अंतर जातीय प्रमाण पत्र जारी करने का आवेदन किया था, ताकि सरकारी नौकरी में लाभ ले सके.
तमिल, तेलुगु सहित कई भाषाओं में आई फिल्म 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है. वन्नियार समुदाय का आरोप है कि फिल्म में उन्हें ग़लत तरीके से दिखाया गया है. निर्देशक टीजे ज्ञानवेल ने कहा कि विवाद की पूरी ज़िम्मेदारी उनकी है और इसके लिए अभिनेता सूर्या को निशाना बनाना अनुचित है.
मद्रास हाईकोर्ट के 200 से अधिक वकीलों ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी के तबादले के प्रस्ताव को देश के चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में ईमानदार व निडर जज के ख़िलाफ़ दंडात्मक क़दम बताया है. 2019 में इसी हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला भी मेघालय हाईकोर्ट में किया गया था, जिसके बारे में दायर पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
टीजे ज्ञानवेल की जय भीम उम्मीद और नाउम्मीदी की फ़िल्म है. उम्मीद इसलिए कि यह दिखाती है कि इंसाफ़ के लिए लड़ा जा सकता है, जीता भी जा सकता है. नाउम्मीदी इसकी कि शायद हमारे इस वक़्त में यह सब कुछ एक सपना बनकर रह गया है.